Published - 17 Feb 2020
ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। आज हम बात करते हैं डेयरी से आमदनी बढ़ाने के बारे में। किसानों के लिए पशुपालन मुनाफा देने वाला व्यवसाय है। किसानों के लिए पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय माना जाता है जिसमें घाटा होने की संभावना बेहद कम होती है। देश के किसानों के लिए पशुपालन हमेशा से ही खेती जितना महत्वपूर्ण रहा है। किसान पशुपालन व्यवसाय से वो अच्छा लाभ अर्जित कर रहे हैं।
केंद्र सरकार डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS) के माध्यम से डेयरी खोलने के लिए सात लाख रुपए का लोन दे रही है। इस लोन में सामान्य वर्ग को 25 प्रतिशत व एससी/एसटी वर्ग को 33 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। भारत में डेयरी बिजनेस की बढ़ती संभावना को देखते हुए केंद्र सरकार ने साल 2019-20 में डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS) के लिए 325 करोड़ रुपये का बजट रखा है। अगर आप भी डेयरी बिजनेस की शुरुआत करना चाहते हैं तो सरकार की इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा यह सब्सिडी राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से दी जाती है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर के मुताबिक, अगर आप एक छोटी डेयरी खोलना चाहते हैं तो उसमें आपको क्रॉसब्रीड गाय-भैंस (औसत से अधिक दूध देने वाली) जैसे साहीवाल, रेड सिंधी, गिर, राठी या भैंस रखनी होगी। आप इस योजना के तहत खोली गयी डेयरी में 10 दुधारू पशु रख सकते हैं।
डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत दो दुधारू पशु से भी डेयरी यूनिट शुरू की जा सकती है। अगर आप कम पूंजी से डेयरी शुरू करना चाहते हैं तो आपके पास यह विकल्प मौजूद है। 2 दुधारू पशु वाली डेयरी यूनिट के लिए 35 हजार रुपए तक की सब्सिडी मिल सकती है। एससी/एसटी वर्ग के व्यक्ति को दो पशु वाली डेयरी पर 46,600 रुपए की सब्सिडी का प्रावधान है।
सबसे पहले नाबार्ड ऑफिस पर संपर्क करें। नाबार्ड की वेबसाइट https://nabard.org पर योजना के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आवेदक किसी बैंक का डिफाल्टर नहीं होना चाहिए।
बैंक से लोन प्राप्त करने के लिए किसान अपने नजदीक के वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अथवा कोऑपरेटिव बैंक को मवेशी की खरीद के लिए प्रार्थना पत्र के साथ आवेदन कर सकते हैं। ये आवेदन प्रपत्र भी सभी बैंकों में उपलब्ध होते हैं।
बड़े पैमाने पर दूध उत्पादन के लिए डेयरी फार्म की स्थापना के लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट देनी होती है। संस्था द्वारा दिए जाने वाले वित्तीय सहयोग में मवेशी की खरीद आदि शामिल है। प्रारंभिक एक-दो महीने के लिए मवेशियों के चारे का इंतजाम के लिए लगने वाली राशि को टर्म लोन के रूप में दिया जाता है। टर्म लोन में जमीन के विकास घेराबंदी, जलाशय, पंपसेट लगाने, दूध के प्रोसेसिंग की सुविधाएं, गोदाम, ट्रांसपोर्ट सुविधा आदि के लिए भी लोन देने के विषय में बैंक विचार करता है। जमीन खरीदने के लिए लोन नहीं दिया जाता है।
इस योजना में एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट का निर्माण किया जाता है। यह प्रोजेक्ट रिपोर्ट राज्य पशुपालन विभाग, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, डेयरी को-ऑपरेटिव सोसायटी तथा डेयरी फार्मर्स के फेडरेशन में स्थानीय स्तर पर नियुक्त तकनीकी व्यक्ति की सहायता से तैयार की जाती है।
लाभार्थी को राज्य के कृषि विश्वविद्यालय में डेयरी के प्रशिक्षण के लिए भी भेजा जाता है। योजना में कई तरह की जानकारियों को शामिल किया जाता है।
इससे में भूमि का विवरण, पानी तथा चारागाह की व्यवस्था, चिकित्सकीय सुविधा, बाजार प्रशिक्षण तथा किसान का अनुभव तथा राज्य सरकार अथवा डेयरी फेडरेशन की सहायता के विषय में जानकारी दिया जाना जरूरी है।
इसके अलावा खरीद किये जाने वाले मवेशी की नस्ल की जानकारी, मवेशी की संख्या तथा दूसरी संबंधित जानकारी मुहैया कराना होता है। इस योजना को बैंक के बैंक पदाधिकारी विश्लेषण करते हैं और योजना के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
जायदाद के कागज
पहचान पत्र
एड्रेस पूफ्र
सिविल रिपोर्ट
जाति प्रमाण पत्र
इनकम टैक्स रिटर्न
प्रोजेक्ट रिपोर्ट
केवाईसी
वित्तपोषित बैंकों को निम्नलिखित समय सीमा के अनुसार अपने नियंत्रण कार्यालय के माध्यम से DEDS पोर्टल (https://ensure.nabard.org) में सब्सिडी के दावे अपलोड करने चाहिए।
वित्त संस्थान/ बैंक द्वारा प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद, वे डीएडीएस पोर्टल में निर्धारित टेम्पलेट के अनुसार विवरण अपलोड करेंगे, मंजूरी के 30 दिनों के भीतर और पात्र सब्सिडी राशि को ब्लॉक करेंगे।
सफल अपलोड और पोस्ट सत्यापन के बाद, बैंक पहले अपलोड के 30 दिनों के भीतर पहली किस्त का विवरण जारी और अपडेट कर देगा।
यदि पहली किस्त का विवरण 30 दिनों के भीतर अपडेट नहीं किया जाता है, तो सिस्टम स्वचालित रूप से एप्लिकेशन को हटा देगा क्योंकि असीमित अवधि के लिए बजट नहीं निकाला जा सकता है। इसलिए बैंक / नियंत्रण कार्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि निर्धारित समय-सीमा के भीतर सब्सिडी के दावों को अपलोड किया जाए।
डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS) भारत सरकार की योजना है। इसके तहत डेयरी और इससे जुड़े दूसरे व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।
दुग्ध उत्पाद (मिल्क प्रोडक्ट) बनाने की यूनिट शुरू करने के लिए भी सब्सिडी दी जाती है। इसके तहत आप दुग्ध उत्पाद की प्रोसेसिंग के लिए उपकरण खरीद सकते हैं। अगर आप इस तरह की मशीन खरीदते हैं और उसकी कीमत 13.20 लाख रुपये आती है तो आपको इस पर 25 फीसदी (3.30 लाख रुपये) की कैपिटल सब्सिडी मिल सकती है। अगर आप एससी/एसटी कैटेगरी से आते हैं तो आपको इसके लिए 4.40 लाख रुपये की सब्सिडी मिल सकती है।
इस योजना में आप मिल्क कोल्ड स्टोरेज भी बना सकते हैं। इसके तहत दूध और दूध से बने उत्पाद के संरक्षण के लिए कोल्ड स्टोरेज यूनिट शुरू कर सकते हैं। इस तरह का कोल्ड स्टोरेज बनाने में अगर आपकी लागत 33 लाख रुपये आती है तो इसके लिए सरकार सामान्य वर्ग के आवेदक को 8.25 लाख रुपये और एससी/एसटी वर्ग के लोगों को 11 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है।
डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की ओर से
पशु खरीदने, बछड़ा पालन, वर्मी कंपोस्ट, डेयरी पार्लर, दुग्ध शीतलन व अन्य कार्यों के लिए लघु व सीमांत किसानों सहित समूहों को प्राथमिकता दी जाती है।
डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS) के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
https://nabard.org/CircularPage.aspx?cid=504&id=2984
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