Published - 11 Jan 2021
अब किसानों के लिए जीरे की खेती करना मुनाफे का सौदा साबित होने वाला है। अब तक ये किसानों के लिए जीरे की खेती काफी मुश्किल भरी होती रही है। कभी बारिश तो कभी ओलावृष्टि से जीरे की फसल को नुकसान होता रहा है। लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।
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जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान ने जीरे की एक ऐसी नई किस्म की खोज की है जो मात्र 100 दिन में पककर तैयार हो जाएगी। यही नहीं इस का उत्पादन अन्य किस्मों से बेहतर भी बताया जा रहा है। मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान की ओर से दावा किया गया है कि उसने जीरे की ऐसी वैरायटी की खोज की है जो किसानों को सभी समस्याओं से मुक्त कर जीरे की फसल से उनको मालामाल कर देगी। केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान जोधपुर के निदेशक डॉ. ओपी यादव के अनुसार प्रदेश के कृषि क्षेत्र में यह नया साल क्रांति लाने वाला साबित हो सकता है। केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने जीरे की फसल को लेकर ऐतिहासिक खोज की है। इस खोज के बाद किसान जीरे की फसल मात्र 100 दिन में ले सकते हैं। आमतौर पर जीरे की फसल में 140 दिन लगते हैं। लेकिन काजरी की इस खोज के बाद 40 दिन पहले ही किसान जीरे की फसल ले सकेंगे।
जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान ने तीन वर्ष के परीक्षण के बाद जीरे की सीजेडसी-94 वैरायटी की खोज की है। अभी तक राजस्थान के किसान जीरे की 70 प्रतिशत खेती गुजरात द्वारा विकसित जीसी-4 वैरायटी की करते हैं। लेकिन काजरी ने प्राकृतिक उतरिवर्तन करवाकर सीजेडसी-94 वैरायटी को विकसित किया है। इस नई सीजेडसी-94 किस्म की विशेषता ये है कि ये अन्य जीरे की किस्मों से जल्दी पककर तैयार हो जाएगी। इस किस्म में 70 की जगह 40 दिन में ही फूल आ जाते हैं। यह किस्म मात्र 100 दिन तैयार हो जाती है। जबकि जीरे की जीसी-4 को पकने में 140 दिन लगते हैं। इससे अब किसान 40 दिन पहले जीरे की फसल काटकर बाजार में बेच कर मुनाफ़ा कमा सकेंगे। इस किस्म का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब किसान बे- मौसम भी जीरे की खेती कर कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
काजरी के वैज्ञानिक डॉ. आरके काकाणी ने बताया कि देश में मसालों में सबसे ज्यादा निर्यात लाल मिर्च का होता है। उसके बाद निर्यात में जीरे का ही नंबर आता है। निर्यात होने वाले मसालों में जीरे का निर्यात 15 प्रतिशत है। वर्ष 2019-20 में 2.10 लाख मैट्रिक टन जीरे का निर्यात हुआ। इसकी कीमत 3225 करोड़ रुपए थी।
फर्टिलाइजर कंपनी स्मार्टकेम टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किसानों को उनके घर पर उवर्रक पहुंचाने के लिए कृषि सामान उपलब्ध कराने वाले स्टार्टअप ई-कॉमर्स मंच एग्रोस्टार के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की है। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार कंपनी ने एक बयान में कहा कि भविष्य में, घर तक सामान दायरा देश के अन्य भागों में भी बढ़ाया जाएगा। इसने कहा है कि चूंकि डिजिटलाइजेशन तेजी से सेवाओं और उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के तरीके को बदल रहा है, इसलिए यह साझेदारी किसानों के दरवाजे पर सीधे मूल्य-वर्धित, अलग अलग उर्वरकों के वितरण को सुलभ करायेगी।
स्मार्टकेम टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, दीपक फर्टिलाइजर्स और पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएफपीसीएल) की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी है। इस विकासक्रम पर टिप्पणी करते हुए, डीएफपीसीएल फसल पोषण व्यवसाय के अध्यक्ष महेश गिरधर ने कहा कि ‘‘कोविड-19 महामारी और मोबाइल डेटा लागत के कम होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में भी ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को अपनाने में तेजी लाई है, और यह प्रवृत्ति कृषि क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही है।’’ किसानों के पास अब पारंपरिक सेवाओं से परे विविध विकल्पों तक पहुंच बनी है। एग्रोस्टार के सीईओ और सह-संस्थापक शार्दुल शेठ ने कहा कि ‘‘हम कई राज्यों में अपने उत्पादों की व्यापक और गहरी पैठ बनाने में सक्षम होने के लिए स्मार्टकेम टेक्नोलॉजीज के साथ सहयोग को लेकर उत्साहित हैं।’’
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