प्रकाशित - 31 May 2023
मानसून के साथ ही भारत में किसान धान की बुवाई शुरू कर देते हैं। इससे पहले किसान धान की नर्सरी बनाने के काम जुट जाएंगे। कई राज्यों में तो किसानों ने धान की नर्सरी तैयार करना शुरू भी कर दिया है। ऐसे में किसान यदि इस बार काले धान की खेती (black rice farming) शुरू करें तो उन्हें साधारण और बासमती चावल (basmati rice) दोनों से ज्यादा फायदा हो सकता है। इसका मार्केट प्राइज भी ज्यादा होने से किसान इसकी खेती करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। बता दें कि बाजार में काले चावल का रेट (black rice rate) 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक है। इसके अलावा काले धान की खूबी यह है कि इसका सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी लाभकारी है। इसमें साधारण धान की तुलना में कहीं अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से हम आपको ब्लैक राइस यानि काले धान की खेती की जानकारी दे रहे हैं।
काले धान में पोषक तत्वों की मात्रा साधारण और बासमती चावल से अधिक होने के कारण इसकी बाजार मांग बढ़ी है। इससे इसकी बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है। काले धान की कीमत 250 रुपए से लेकर 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक है। जबकि साधारण व बासमती चावल की कीमत 30 रुपए किलोग्राम से लेकर 150 किलोग्राम तक होती है। वहीं हमारे देश से कुछ देशों जैसे-कतर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, संयुक्त् अरब अमीरात में इसका निर्यात भी किया जाता रहा है।
कृषि विभाग और अन्य संस्थाएं एक वर्ष पहले भेजे गए मांग पत्र पर बीज उलपब्ध करा देती हैं। इसके अलावा काले धान का बीज कई ऑनलाइन शॉपिग प्लेटफार्म से भी खरीदा जा सकता है। वहीं किसान अपने क्षेत्र के काले धान के बीज उत्पादक किसान से भी इसके बीजों की खरीद कर सकते हैं।
काले धान की खेती से पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। किसान मानसून से पहले इसकी नर्सरी तैयार कर सकते हैं। नर्सरी तैयार होने में करीब एक माह का समय लगता है। काले धान की बीज की रोपाई के एक महीने बाद मुख्य खेत में पौधों की रोपाई की जाती है। इसकी फसल करीब 5 से 6 माह में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। हालांकि अन्य किस्मों की तुलना में काले धान की फसल को तैयार होने में अधिक समय लगता है।
उड़ीसा राज्य में कलाबाती धान किस्म उगाई जाती है। धान की इस किस्म को क्षेत्रीय भाषा में किसान कालाबैंशी कहते हैं। यह किस्म पोषक तत्वों से भरपूर है। इस किस्म में एंटी एजिंग गुण पाए जाते हैं। कहा जाता है कि इस किस्म का चावल खाने से बुढ़ापा देरी से आता है यानि यह उम्र के बढ़ते प्रभाव को कम करने में सहायक है। उड़ीसा के अलावा मणिपुर और त्रिपुरा में भी इसकी खेती की जाती है। अब तो इसकी खेती अन्य राज्यों में भी होने लगी है जिनमें उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं।
ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों न्यू हॉलैंड ट्रैक्टर, मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।
Social Share ✖