प्रकाशित - 29 Jun 2022
खरीफ फसलों की बुवाई का सीजन शुरू हो गया है। जुलाई का महीना आने वाला है। ऐसे में किसानों को जुलाई माह में उगाई जाने वाली फसलों की जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि सही समय पर फसल की बुवाई करके उससे बेहतर पैदावार प्राप्त की जा सके और अच्छा मुनाफा कमाया जा सके। किसान परंपरागत फसलों जैसे- धान, मक्का, बाजरा की खेती तो करते ही है। यदि साथ ही सब्जियों की खेती भी करें तो उन्हें काफी अच्छा लाभ हो सकता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से जुलाई माह में बोई जाने वाली सब्जियों की जानकारी दे रहे हैं।
जुलाई के महीने में खीरा-ककड़ी-लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, भिंडी, टमाटर, चौलाई, मूली की फसल लगाना अधिक फायदेमंद रहता है।
पॉली हाउस तकनीक का उपयोग करके टमाटर को किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। टमाटर की मांग पूरे 12 महीने बनी रहती है। इसलिए इसकी खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
टमाटर की उन्नत किस्मों में टमाटर की पूसा शीतल, पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव, अर्का विकास, अर्का सौरभ और सोनाली इसकी प्रमुख देशी किस्में हैं। इसके अलावा टमाटर की हाइब्रिड किस्मों में पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाईब्रिड-4, रश्मि और अविनाश-2 आदि अच्छी मानी जाती हैं।
खीरा की बाजार में काफी मांग रहती है। अधिकतर लोग इसे सालाद के रूप खाना पसंद करते हैं। खरीफ सीजन में इसकी खेती करते समय इसे पाले से वचाव करना बहुत जरूरी है।
इसकी उन्नत किस्मों में भारतीय किस्मों में स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम और खीरा 75 आदि प्रमुख है। इसकी नवीनतम किस्मों में पीसीयूएच- 1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल आदि आती है। इसकी संकर किस्मों में पंत संकर खीरा- 1, प्रिया, हाइब्रिड- 1 और हाइब्रिड- 2 आदि है। वहीं इसकी विदेशी किस्मों में जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8 और पोइनसेट आदि प्रमुख है।
किसानों के लिए लोबिया की खेती करने का समय चल रहा है। इसकी खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में की जाती है। किसान भाई इस मौसम में लोबिया की खेती कई उन्नत किस्मों से कर सकते हैं। इनसे उन्हें फसल के अच्छे उत्पादन के साथ उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिलेगा। बता दें कि लोबिया हरी फली, सूखे बीज, हरी खाद और चारे के लिए पूरे भारत में उगाई जाने वाली वार्षिक फसल है। इस पौधे को हरी खाद बनाने के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। दलहनी फसल होने के कारण यह वायुमंडलीय नत्रजन को भूमि में संचित करती है जिससे भूमि की उर्वरता बढ़ती है।
लोबिया की उन्नत किस्मों मेें पंत लोबिया - 4, लोबिया 263, अर्का गरिमा, पूसा बरसाती, पूसा ऋतुराज आदि अच्छी किस्में मानी जाती है।
चौलाई गर्मी की फसल है, लेकिन इसे बारिश में भी उगाया जा सकता है। चौलाई की खेती किसान नकदी फसल के रूप में करता है। चौलाई में सोने की मात्रा पाई जाने से इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाई बनाने में भी किया जाता है। इसके पौधे के सभी भाग (जड़, तना, पत्ती, डंठल) उपयोगी होते हैं। चौलाई में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए और सी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। चौलाई के इस्तेमाल से पेट संबंधित बीमारियों से छुटकारा मिलता है। चौलाई दानों का उपयोग सब्जी बनाने में किया जाता है। चौलाई को गर्मी और बरसात दोनों मौसम में उगाया जा सकता है।
चौलाई की उन्नत किस्मों में कपिलासा, आर एम ए 4, छोटी चौलाई, बड़ी चौलाई, अन्नपूर्णा, सुवर्णा, पूसा लाल, गुजरती अमरेन्थ 2 आदि किस्में अच्छी मानी जाती हैं।
करेले की खेती भी बारिश के मौसम में की जा सकती है। करेला स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी उपयोगी होता है। डायबिटिज वाले रोगियों को करेला खाने की सलाह दी जाती है। ये खून साफ करता है और शरीर में इन्सुलिन के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक है। इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। अच्छे जल निकास वाली भूमि इसकी खेती के लिए अच्छी होती है। करेले को गर्मी और वर्षा दोनों मौसम में उगाया जा सकता है। करेले की फसल के लिए 500 ग्राम बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होता है। पौध तैयार करके बीज फसल लगाने पर बीज मात्रा मे कमी की जा सकती है।
करेले की उन्नत किस्मों में पूसा हाइब्रिड 1, पूसा हाइब्रिड 2, पूसा विशेष, अर्का हरित, पंजाब करेला 1 आदि अधिक उत्पादन देने वाली किस्में हैं।
भिंडी की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। इसके लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी रेतीली और चिकनी मिट्टी होती है जिसमें जैविक तत्वों की भरपूर मात्रा हो। इसकी खेती अच्छे जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है। यदि जल निकास की व्यवस्था उचित हो तो इसकी खेती भारी भूमियों में भी की जा सकती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 6.5 के बीच होना चाहिए। भिंड की खेती करके किसान काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। आजकल तो बाजार में लाल भिंडी का चलन भी काफी बढ़ गया है जिसके किसानों को अच्छे भाव मिलते हैं।
भिंडी की उन्नत किस्मों में वर्षा उपहार, अर्का अभय, परभनी क्रांति, पूसा मखमली, पूसा सावनी, वी.आर.ओ.-6, हिसार उन्नत, पूसा ए-4 आदि भिंडी की अच्छी किस्में हैं।
पेठा कद्दू की खेती से भी किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसे पेठा नामक मिठाई बनाई जाती है जिसकी बाजार में काफी मांग रहती है। इसकी बुवाई का सही समय फरवरी से मार्च, जून से जुलाई और सितंबर से अक्टूबर में होता है। पेठा कद्दू की खेती के लिए दोमट व बलुई दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी गई है। इसकी खेती के लिए 1 हेक्टेयर में 7-8 किलोग्राम बीजों की जरूरत पड़ती है।
पेठा कद्दू की उन्नत किस्मों में पूसा हाइब्रिड 1, कासी हरित कद्दू, पूसा विश्वास, पूसा विकास, सीएस 14, सीओ 1 व 2, हरका चंदन, नरेंद्र अमृत, अरका सूर्यमुखी, कल्यानपुर पंपकिंग 1, अंबली, पैटी पान, येलो स्टेटनेप, गोल्डेन कस्टर्ड आदि अच्छी किस्में हैं।
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