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बरसात में करें ककोड़ा की खेती : कम लागत में ज्यादा मुनाफा, जानें, पूरी जानकारी

प्रकाशित - 07 Jun 2023

जानें, कैसे करें ककोड़ा की खेती और इससे कितना होगा लाभ

मानसून की बारिश का समय नजदीक है। ऐसे में किसान बरसात में ककोड़ा की खेती (kakoda ki kheti) से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। वैसे तो ककोड़ा बरसात के सीजन में अपने आप भी उग जाता है। अधिकतर जंगलों में इसके पौधे आसानी से देखे जा सकते हैं। ककोड़ा की बाजार में मांग भी काफी है और इसके भाव भी अच्छे मिल जाते हैं। भारत के कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है। यह एक हरी और गोल-मटोल कांटे वाली सब्जी होती है। इसका उपयोग सब्जी बनाकर खाने में तो किया ही जाता है, इसके अलावा इसका आचार भी बनाया जाता है। इस सब्जी को लोग इतना पसंद करते हैं कि बाजार में आते ही इसे हाथों-हाथ खरीद लेते हैं। बाजार में इसका भाव 150 रुपए किलोग्राम तक होता है। भारत में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि राज्यों में किसान इसकी खेती करते हैं।  

सेहत के लिए कितना लाभकारी है ककोड़ा (Health Benefits of Kakoda)

ककोड़ा को हाई ब्लडप्रेशर की बीमारी के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसमें मोमोरेडीसिन तत्व पाया जाता है जिससे इसमें एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीडायबिटीज के गुण होते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। खास तौर पर हाई ब्लड प्रेशर और वजन कम करने के लिए इसकी सब्जी को काफी कारगर माना जाता है।

बारिश में तेजी से बढ़ती है ककोड़ा की बेल

ककोड़ा बेल रूपी फसल है। इसकी बेल होती है और उसी में इसके फल पाए जाते हैं जिनकी सब्जी बनाकर बड़े चाव से लोग खाते हैं। बारिश का सीजन शुरू होते ही बाजार में यह सब्जी आनी शुरू हो जाती है। इस फसल की खासियत ये है कि जितनी ज्यादा बारिश होती है उतना ही ककोड़ा की अच्छी और अधिक पैदावार होती है। इसलिए यह सब्जी बारिश के समय ही आपको देखने को मिल जाएगी।

कहां मिलते हैं ककोड़ा के बीज

ककोड़ा का बीज आपको बाजार में नहीं मिलेगा इसलिए आप इसके बीजों को बाजार से खरीद कर नहीं ला सकते हैं। यहां तक कि कृषि विभाग भी इसके बीजों को नहीं रखता है। इसका बीज आपको जंगलों में ही मिल सकता है और यही कारण है कि इसकी सप्लाई जंगल से ही की जाती है। जंगल में ही ककोड़ा की पैदावार होती है। सीजन खत्म होते ही पके ककोड़े के बीज गिर जाते हैं, जब पहली बारिश होती है, तब इसकी बेल जंगल में फैलने लग जाती है। तभी आप इसे जंगल में देख सकते हैं।

ककोड़ा की खेती का उचित समय (Best Time for Kakoda Cultivation)

ककोड़ा की खेती का उचित समय जून-जुलाई का महीना होता है। इसमें इसकी फसल काफी तेजी से बढ़ती है। इसकी खेती गर्म और कम ठंडक वाले मौसम में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए 27 से 32 डिग्री सेल्सियस तक तापमान उपयुक्त माना गया है। यह सब्जी बिजाई के 70 से 80 दिन की अवधि में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

कैसे की जाती है ककोड़ा की खेती (How to do Kakoda Farming?)

ककोड़ा की खेती सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है, लेकिन खेत में पानी के निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। जलभराव वाली भूमि इसकी खेती के लिए अच्छी नहीं होती है। ककोड़ा की खेती के लिए सबसे पहले खेत की मिट्‌टी को ट्रैक्टर या हल की सहायता से जुताई करके समतल कर लेना चाहिए। तीन बार हल से जुताई करें व अंतिम जुताई के बाद मिट्‌टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए 15 से 20 टन गोबर या जैविक खाद डालें। अब तैयार किए गए बैड में 2 सेंटीमीटर की गहराई में 2 से 3 बीजों की बुवाई करें। इस दौरान मेड से मेड की दूरी करीब 2 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी करीब 70 से 80 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। अब बीज बोने के बाद सिंचाई करें। इसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें। हालांकि बरसात के मौसम में इसमें सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उस समय मिट्‌टी में पर्याप्त नमी बनी रहती है। यदि बरसात नहीं हो तो ऐसी स्थिति में एक से दो सिंचाई एक सप्ताह के अंतराल में करनी चाहिए। इसकी फसल पहली बार में 70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है। वहीं दूसरे साल इसकी फसल 25 से 40 दिनों में ही तैयार हो जाती है।  

ककोड़ा का भाव (Kakoda Price)

ककोड़ा का भाव सामान्यत: बाजार में 90 से 100 रुपए तक होता है। वहीं कई जगहों पर भारी डिमांड के कारण इसका भाव 150 रुपए तक पहुंच जाता है।  

ककोड़ा की खेती में लागत और मुनाफा (Kakoda Farming Cost and Profit)

यदि बात की जाए ककोड़ा की खेती में लागत की तो इसकी खेती में नाममात्र की लागत आती है। एक बार इस फसल की बुवाई के बाद 8 से 10 साल तक इससे पैदावार ली जा सकती है। बागवानी अनुसंधान संस्थान कर्नाटक की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार कर्नाटक के करकला, मंगलौर के एक किसान शिवानंद के अनुसार उन्होंने ककोड़ा के 600 पौधों को उगाकर 3500 किलोग्राम फलों की तुड़ाई की और प्रति पौधे 6 किलोग्राम से अधिक उपज प्राप्त की। उन्हें उम्मीद है कि वह पौधे से करीब 10 किलोग्राम उपज प्राप्त कर लेंगे। उन्होंने इसके फल 100 से 150 रुपए किलोग्राम के भाव से बेचे हैं और इससे करीब 5 लाख रुपए की कमाई की है। यदि इसमें भी एक लाख रुपए फसल लागत के लिए निकाल दिए जाए तो भी वह इसकी खेती से करीब 4 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर लेंगे। 

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