प्रकाशित - 27 Jun 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकारी प्रयास जारी हैं। इसी के साथ किसानों को भी चाहिए कि वे अपनी आय बढ़ाने के लिए अधिक लाभ देने वाली फसलों का चयन कर उनकी बुवाई करें। बांस एक ऐसी फसल है जिसे एक बार लगाकर अधिक समय तक इससे मुनाफा कमाया जा सकता है। बांस की खेती के लिए सरकार से भी प्रोत्साहन मिलता है और मदद भी। बांस की खेती खेत के चारों ओर मेड वाले स्थान पर की जा सकती है और बीच में दूसरी फसल उगाई जा सकती है। इससे किसान को दोहरा लाभ मिल सकता है। बांस की बाजार मांग को देखते हुए इसमें लाभ की काफी संभावनाएं हैं। उन्नत तकनीक से इसकी खेती करें तो इससे करीब 40 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।
बांस की रापाई जुलाई माह में की जा सकती है। इसके लिए इसकी उन्नत किस्मों का चयन किया जा सकता है। बता दें कि बांस की 136 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 10 प्रजातियां ही ऐसी है जिनका उपयोग सबसे ज्यादा किया जा रहा है। यहां भारत की बात करें तो बांस की खेती के लिए भारत में मुख्यत: दो तरह की बांस की प्रजाति की वानिकी तैयार की जाती है। पहली बैम्बुसा एरुण्डीनेसीया और दूसरी डेन्ड्रोकैलामस स्ट्रीक्ट्स प्रजाति है।
इसके पौधे को नर्सरी से लाकर रोपा जा सकता है। तीन महीनों में बांस का पौधा विकसित होना शुरू हो जाता है। समय-समय पर बांस के पौधे मामूली छंटाई के बाद बांस का पौधा विकसित होता रहता है। तीन-चार साल में पूरी फसल तैयार हो जाती है। आम तौर से अक्टूबर से दिसंबर के दौरान बांस के पौधे की कटाई की जाती है।
बांस के खेतों में आप उस हर चीज की खेती कर सकते हैं, जो छायादार जगह पर भी अच्छी पैदावार देते हैं। बांस के पेड़ों के बीच की जगहों में आप दूसरी फसलों की खेती कर सकते हैं। इसमें अदरक, हल्दी जैसी चीजों की खेती की जा सकती है। हल्दी और अदरक की खेती भी मुनाफे देने वाली फसलें है
भारत सरकार ने देश में बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए साल 2006-2007 में राष्ट्रीय बांस मिशन शुरू किया था। इस मिशन के तहत किसानों को बास की खेती के लिए सहायता प्रदान की जाती है। बात करें मध्यप्रदेश सरकार की तो बांस की खेती के लिए यहां किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। यहां सरकार किसानों को बास की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बांस की खेती अन्य फसलों की तुलना में सुरक्षित होती है, क्योंकि इसमें कीट रोग आदि का प्रकोप नहीं होता है और इसे कम देखभाल की जरूरत पड़ती है।
बांस की खेती पर प्रति पौधा 240 रुपए की लागत आती है। इसमें से 120 रुपए राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। इसका मतलब ये हैं कि राज्य सरकार की ओर से बांस की खेती के लिए आधी रकम किसानों को दे रही है। अब कमाई की बात करें तो देश के कई किसानों ने अपने खेत के चारों तरफ बांस के पौधे लगाए हैं। दो से तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद बांस की खेती से अगले 10 साल तक अच्छी कमाई की जा सकती है। बांस की खेती से 4 साल में 40 लाख की कमाई की जा सकती है।
बांस की खेती की खेती के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन इसके लिए सही दूरी की आवश्यकता होती है। आपको इसकी खेती में उचित दूसरी का ध्यान रखकर ही रोपाई करनी चाहिए तब ही इसका विकास ठीक से हो पाएगा। बांस को पंक्तियों में 12 मीटर गुणा 4 मीटर की दूरी के साथ लगाना चाहिए। एक एकड़ में करीब 100 पौधे रोपे जा सकते हैं। यदि 5 गुणा 4 मीटर की दूरी पर पौधे लगाए जाएं जो अनुशंसित दूरी है, इस तरह करीब 250 पौधों लगाए जा सकते हैं। बांस की रोपाई के लिए खेत में आवश्यक दूरी पर 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा गड्ढा खोदा जाना चाहिए। रोपाई के तुरंत बाद पौधे को पानी देना चाहिए। इसी प्रकार एक महीने तक रोजाना वहीं पर पानी देते रहना चाहिए। एक महीने के बाद, वैकल्पिक दिनों में पानी देना कम कर देना चाहिए और 6 महीने के बाद इसे सप्ताह में एक बार कम कर देना चाहिए। इसकी फसल में खरपतवार हो तो उसे समय-समय पर हटा देना चाहिए।
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