Published - 15 Feb 2020 by Tractor Junction
ट्रैक्टर जंक्शन पर देशभर के किसान भाइयों का बसंत के माह में स्वागत है। सभी किसान भाई जानते हैं कि देश में खेती-बाड़ी पूरी तरह से मौसम के भरोसे रहती है। अगर मौसम फसलों के अनुकूल हुआ तो किसानों को फायदा, प्रतिकूल हुआ तो किसानों को नुकसान। खेती में कम आमदनी के चलते किसान परिवारों का रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन लगातार जारी है। केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने की दिशा में प्रयासरत है। इस दिशा में केंद्र सरकार कांट्रैक्ट (संविदा) खेती को देश में बढ़ाना चाहती है। इसके लिए भारत सरकार एक अधिनियम आदर्श कृषि उत्पाद एवं मवेशी संविदा-कृषि तथा सेवाएं (प्रोत्साहन एवं सुविधा) कानून-2018 (Model Contract Farming Act, 2018) पारित कर चुकी है। इस कानून में राज्यों के कृषि उत्पादन विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के दायरे से बाहर रखने को कहा गया है। इस एक्ट में खेती के अलावा डेयरी, पशुपालन व मुर्गी पालन को भी शामिल किया गया है।
अनुबंध पर खेती का मतलब यह है कि किसान अपनी जमीन पर खेती तो करता है, लेकिन अपने लिए नहीं बल्कि किसी और के लिए। अनुबंध पर खेती में किसान को पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है। इसमें कोई कंपनी या फिर कोई व्यक्ति किसान के साथ अनुबंध करता है कि किसान द्वारा उगाई गई फसल को एक निश्चित समय पर तय दाम पर खरीदेगा। इसमें खाद-बीज, सिंचाई व मजदूरी सहित अन्य खर्चें कांट्रेक्टर के होते हैं। कांट्रेक्टर के अनुसार ही किसान खेती करता है। फसल का दाम, क्वालिटी, मात्रा और डिलीवरी का समय फसल उगाने से पहले ही तय हो जाता है।
कांट्रेक्टर फार्मिंग भारत के लिए नई अवधारणा नहीं है, लेकिन यह देश के सीमित हिस्सों में ही प्रचलित रही है। इस कानून के लागू होने से पहले मॉडल एपपीएमसी अधिनियम 2003 के तहत राज्यों को कांट्रेक्टर फार्मिंग से संबंधित कानून लागू करने संबंधी अधिकार दिए जाते रहे हैं। देश के 22 राज्यों ने कांट्रेक्ट फार्मिंग को सह-विकल्प के रूप में अपनाया है। पंजाब में 2013 में द पंजाब कांट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट बनाया गया था। नया कानून आने के बाद तमिलनाडू देश का पहला राज्य है जहां अनुबंध खेती पर कानून बन चुका है। गुजरात में भी बड़े पैमाने पर कांट्रेक्ट फार्मिंग हो रही है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई राज्यों में भी अनुबंध पर खेती के अच्छे परिणाम सामने आ रहे है। मध्यप्रदेश, असम, बिहार, गोवा, हरियाणा, कर्नाटका, मिजोरम, उड़ीसा, पंजाब के किसान भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। देश में गन्ने, बागवानी फसलों, आलू और अन्य कुछ फसलों के लिए कांट्रेक्ट फार्मिंग की जा रही है।
इस अधिनियम के तहत कांट्रेक्ट खेती करते समय खरीदार को राज्य एपीएमसी के दायरे से बाहर किया गया है। इसका लाभ यह होगा कि अब खरीदार को अनुबंध खेती करने के लिए एपीएमसी हेतु मार्केट फीस और कमीशन शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा मॉडल एक्ट के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम के अंतर्गत राज्य स्तर के अनुबंध खेती (संवद्र्धन और सुविधा) प्राधिकरण स्थापित करने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश भी प्रदान किए गए हैं।
अनुबंध खेती में विवाद की स्थिति में निपटारे की व्यवस्था की गई है। विवादों को सुलझाने के लिए निचले स्तर पर एक विवाद निपटान तंत्र की व्यवस्था विकसित की गई है। राज्यों को अपनी सुविधा के अनुसार प्रावधानों में संशोधन की छूट दी गई है, लेकिन कानून में किसानों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकेगा। इस मसौदे में जहां किसानों के हितों पर बल दिया गया है, वहीं कंपनियों के लिए भी नियम उदार बनाने पर जोर दिया गया है।
आईटीसी, गोदरेज, रिलायंस, मेट्रो, अडानी, हिंदूस्तान यूनिलीवर, कारगिल, पेप्सिको, मैककेन, टाटा, महिंद्रा, डीसीएम श्रीराम, पतंजलि, मार्स रिगले कन्फेक्शनरी।
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