प्रकाशित - 26 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
खरीफ का सीजन (Hharif Season) आ गया है, किसान इस समय फसलों की बुवाई के लिए तैयारी कर रहे हैं। बारिश शुरू होते ही किसान धान (Paddy) , बाजरा (Bajra), मक्का (Maize) आदि फसलों की बुवाई शुरू कर देंगे। ऐसे में किसानों को चाहिए कि वे परंपरागत फसलों के अलावा कुछ ऐसी फसलों की खेती पर भी ध्यान दें जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिल सके। इसी क्रम में चीना की खेती (Cheena Kee Khetee) किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।
खास बात ये हैं कि इस फसल की खेती के लिए सरकार की ओर से किसानों को बीज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसान चीना की खेती (Cheena Kee Khetee) करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। यह फसल मात्र दो महीने में पककर तैयार हो जाती है। जो किसान पानी की कमी के कारण धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं या खेत खाली छोड़ रहे हैं, उन्हें चीना मोटा अनाज की खेती से काफी अच्छा मुनाफा हो सकता है। इस साल बिहार के गया में कृषि विभाग की ओर से पांच हैक्टेयर में चीना की खेती करवाई जाएगी। इसके लिए किसानों को चीना के बीजों का वितरण भी किया जाएगा।
ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आज हम आपके लिए मोटे अनाज की खेती के तहत चीना की खेती की जानकारी लेकर आए हैं।
चीना को बहुत से नामों से जाना जाता है। इसकी खेती भारत में बहुत पहले से की जाती रही है। भारत में विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से पहचाना जाता है। पंजाब और बंगाल में इसे चीना, तमिलनाडु में इसे पानी वारागु, महाराष्ट्र में इसे वरी, गुजरात में इसे चेनो तो कर्नाटक में इसे बरागु नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार अन्य राज्यों में भी वहां की भाषा के अनुसार इस फसल के अलग-अलग नाम है। चीना को मोटे अनाज की श्रेणी में रखा गया है। इसका पौधा 45-100 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है। तना सूजे हुए गांठों के साथ पतला होता है। इसकी जड़ें रेशेदार और उथली हुई होती है। इसका बीज मलाईदार सफेद, पीले, लाल या काले रंग के हो सकते हैं।
बता दें कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। मोटे अनाज के तहत ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू आदि को शामिल किया गया है। मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए इनके बीज किसानों को सब्सिडी (subsidy) पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कई जगहों पर मोटे अनाज के फ्री बीज (Free Seed) वितरित किए जा रहे हैं। मोटे अनाज की खेती से किसान को ही नहीं, आम लोगों को भी लाभ होगा। मोटे अनाज में कई प्रकार के प्रोटीन और पोषक तत्व होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। कई रोगों को दूर करने में भी यह सहायक हैं। इसकी खेती भारत में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र बिहार, कर्नाटक आदि राज्यों में की जाती है।
चीना एक मोटा अनाज है जिससे भात, रोटी और खीर बनाई जाती है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें प्रति 100 ग्राम 13.11 ग्राम प्रोटीन एवं 11.18 ग्राम फाइबर के अलावा काफी मात्रा में लोहा और कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर एवं मधुमेह रोग में आराम मिलता है। इसे भिगोकर, सुखाकर एवं भूनकर खाया जा सकता है। इसके सेवन से शरीर में खून की कमी दूर होती है। यह पचने में आसान होता है तथा इसके सेवन से काफी समय तक भूख नहीं लगती है। इसलिए यह शरीर का वजन घटाने में भी मददगार है।
चीना की खेती से उन किसानों को बहुत लाभ हो सकता है जिन किसानों ने पानी की कमी के कारण धान की बुवाई नहीं की है या अपने खेत खाली छोड़ रहे हैं। ऐसे किसान चीना की खेती करके इससे अच्छा लाभ कमा सकते हैं। बता दें कि इस साल टनकुप्पा प्रखंड के मायापुर फार्म में भी इस पौधे के बीज तैयार किए जाएंगे ताकि किसानों को चीना के रूप में धान का एक अच्छा विकल्प मिल सके। धान की खेती में अधिक पानी लगने के कारण किसान इससे दूरी बना रहे हैं, ऐसे में चीना की खेती इन किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
अधिकांशत: चीना की खेती खरीफ सीजन में जून या इसके बाद की जाती है। लेकिन भारत में कई जगहों पर इसकी बुवाई जून से पहले गर्मियों के दौरान ही कर दी जाती है। मानसून के दौरान यह फसल तैयार हो जाती है। इस तरह यह फसल दो माह में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। बता दें कि इसकी फसल 60 से लेकर 90 दिन में तैयार हो जाती है।
चीना की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। यहां तक की इसकी खेती बंजर भूमि में भी करके अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। इसकी खेती रूखी-सूखी किसी भी तरीके की भूमि पर आप कर सकते हैं। ऐसे में बंजर पड़े खतों में भी इसकी खेती करके अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
चीना की खेती करने से पहले पिछली फसल की कटाई के बाद खेत की जुताई करें। खेत को धूप लगने के लिए छोड़ दें। इसके बाद मानसून की शुरुआत के साथ ही भूमि को दो से तीन बार हैरो से जुताई करके उसे समतल कर लें। यदि चीना को गर्मी के मौसम में उगाया जा रहा हो तो खेत की तैयारी से पहले एक सिंचाई अवश्य कर दें ताकि भूमि में नमी बनी रहे। अब तीन बार पाटा लगाकर हैरो या देसी हल चलाकर बीजों की क्यारी तैयार कर लें। अब इन क्यारियों में बीजों की बुवाई करें।
बीजों की बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी 25 सेंटीमीटर रखें। वहीं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखी जाती है। किसान सीधी बुवाई तकनीक का उपयोग इसके लिए भी कर सकते हैं। इसकी सीधी बुवाई के लिए 4-5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीजों को बुवाई से पूर्व एग्रोसन जीएन अथवा सरेसन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बुवाई से पूर्व उपचारित कर लें।
वैसे तो चीना की फसल को बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। लेकिन कुछ फसल की मुख्य अवस्थाएं होती है जिनमें सिंचाई करना बेहद जरूरी होता है। इससे कल्लों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। खरीफ सीजन में बोई जाने वाली चीना की फसल में कल्ले निकलने की अवस्था में सिंचाई अवश्य करें। इसके अलावा यदि सूखा मौसम अधिक रहता है तो पैदावार बढ़ाने के लिए एक सिंचाई जरूर करनी चाहिए।
यदि उन्नत कृषि तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए तो चीना की प्रति हैक्टेयर 12-15 क्विंटल अनाज के रूप में प्राप्त की जा सकती है। वहीं इससे 20-25 क्विंटल तक भूसा भी प्राप्त किया जा सकता है जिसका उपयोग पशु चारे के लिए किया जा सकता है।
आमतौर पर मोटा अनाज चीना का बाजार भाव 4800 रुपए से 5,000 रुपए प्रति क्विंटल तक होता है। यदि किसान इसकी खेती करें तो दो महीने में काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। इससे खेत खाली छोड़ने की समस्या भी खत्म होगी और कम पानी में बेहतर उत्पादन मिल जाएगा।
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