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जानें चंदन की खेती कैसे करें ( Indian Sandalwood Plantation )

Published - 24 Feb 2020

चंदन की खेती : कम जमीन में ज्यादा कमाई

देशभर के किसान भाइयों का ट्रैक्टर जंक्शन पर एक बार फिर स्वागत है। आज हम बात करते हैं करोड़पति बनने की। चंदन की खेती से जुडक़र किसान करोड़पति बन सकते हैं। बशर्तें उन्हें धैर्य के साथ चंदन की खेती करनी होगी। अगर किसान आज चंदन के पौधे लगाते हैं तो 15 साल बाद किसान अपने उत्पादन को बाजार में बेचकर करोड़ों रुपए कमा सकते हैं। देश में लद्दाख और राजस्थान के जैसलमेर को छोडक़र सभी भू-भाग में चंदन की खेती की जा सकती है।

चंदन के बीज / पौधे / मिट्टी

चंदन की खेती के लिए किसानों को सबसे पहले चंदन के बीज या फिर छोटा सा पौधा या लाल चंदन के बीज लेने होंगे जो कि बाजार में उपलब्ध है। चंदन का पेड़ लाल मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है। इसके अलावा चट्टानी मिट्टी, पथरीली मिट्टी और चूनेदार मिट्टी में भी ये पेड़ उगाया जाता है। हालांकि गीली मिट्टी और ज्यादा मिनरल्स वाली मिट्टी में ये पेड़ तेजी से नहीं उग पाता।

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चंदन खेती (sandalwood cultivation) : बुवाई का समय/जलवायु

अप्रैल और मई का महीना चंदन की बुवाई के लिए सबसे अच्छा होता है। पौधे बोने से पहले 2 से 3 बार अच्छी और गहरी जुताई करना जरूरी होता है। जुताई होने के बाद 2x2x2 फीट का गहरा गड्ढ़ा खोदकर उसे कुछ दिनों के लिए सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए। अगर आपके पास काफी जगह है तो एक खेत में 30 से 40 सेमी की दूरी पर चंदन के बीजों को बो दें। मानसून के पेड़ में ये पौधे तेजी से बढ़ते हैं, लेकिन गर्मियों में इन्हें सिंचाई की जरूरत होती है। चंदन के पेड़ को 5 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले इलाके में लगाना सही माना जाता है। इसके लिए 7 से 8.5 एचपी वाली मिट्टी उत्तम होती है। एक एकड़ भूमि में औसतन 400 पेड़ लगाए जाते हैं। इसकी खेती के लिए 500 से 625 मिमी वार्षिक औसम बारिश की आवश्यकता होती है। 

चंदन के पेड़ की कीमत

चंदन का पौधा बाकी पौधों की तुलना में काफी महंगा मिलता है, लेकिन अगर आप कई सारे पौधे खरीदेंगे तो यह आपको औसतन 400 रुपए में मिल जाएगा। अब बात करें चंदन की लकड़ी के भाव की तो देश में 8 से 10 हजार रुपए प्रति किलों बिकती है। वहीं विदेश में ये 20 से 25 हजार रुपए किलों तक में बिकती है। अगर आप एक एकड़ में चंदन के पेड़ लगाते हैं तो इसके बाजार भाव के हिसाब से आप 60 लाख तक मुनाफा कमा सकते हैं।

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चंदन की खेती में पौधरोपण

चंदन का पौधा अद्र्धजीवी होता है। इस कारण चंदन का पेड़ आधा जीवन अपनी जरुरत खुद पूरी करता है और आधी जरूरत के लिए दूसरे पेड़ की जड़ों पर निर्भर रहता है। इसलिए  चंदन का पेड़ अकेले नहीं पनपता है। अगर चंदन का पेड़ अकेला लगाया जाएगा तो यह सूख जाएगा। जब भी चंदन का पेड़ लगाएं तो उसके साथ दूसरे पेड़ भी लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि चंदन के कुछ खास पौधे जैसे नीम, मीठी नीम, सहजन, लाल चंदा लगाने चाहिए जिससे उसका विकास हो सके। 

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चंदन की खेती में खाद प्रबंधन

चंदन की खेती (sandalwood Farming) में जैविक खादकी अधिक आवश्यकता नहीं होती है। शुरू में फसल की वृद्धि के समय खाद की जरुरत पड़ती है। लाल मिट्टी के 2 भाग, खाद के 1 भाग और बालू के 1 भाग को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। गाद भी पौधों को बहुत अच्छा पोषण प्रदान करता है।

चंदन की खेती में सिंचाई प्रबंधन

बारिश के समय में चंदन के पेड़ों का तेजी से विकास होता है लेकिन गर्मी के मौसम में इसकी सिंचाई अधिक करनी होती है। सिंचाई मिट्टी में नमी और मौसम पर निर्भर करती है। शुरुआत में बरसात के बाद दिसंबरसे मई तक सिंचाई करना चाहिए। रोपण के बाद जब तक बीज का 6 से 7 सप्ताह में अंकुरण शुरू ना हो जाए तब तक सिंचाई को रोकना नहीं चाहिए। चंदन की खेती में पौधों के विकास के लिए मिट्टी का हमेशा नम और जल भराव होना चाहिए। अंकुरित होने के बाद एक दिन छोडक़र सिंचाई करें।

चंदन की खेती में खरपतवार

चंदन की खेती करते समय, चंदन के पौधे को पहले साल में सबसे अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। पहले साल में पौधों के इर्द-गिर्द की खरपतवारको हटाना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो दूसरे साल भी साफ-सफाई करनी चाहिए। किसी भी तरह का पर्वतारोही या जंगली छोटा कोमला पौधा हो तो उसे भी हटा देना चाहिए।

चंदन की खेती में कीट एवं रोग नियंत्रण

चंदन की खेती में सैंडल स्पाइक नाम का रोग चंदन के पेड़ का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इस रोग के लगने से चंदन के पेड़ सभी पत्ते ऐंठाकर छोटे हो जाते हैं। साथ ही पेड़ टेड़े-मेढ़े हो जाते हैं। इस रोग से बचाव के लिए चंदन के पेड़ से 5 से 7 फीट की दूरी पर एक नीम का पौधा लगा सकते हैं जिससे कई तरह के कीट-पंतगों से चंदन के पेड़ की सुरक्षा हो सकेगी। चंदन के 3 पेड़ के बाद एक नीम का पौधा लगाना भी कीट प्रबंधन का बेहतर प्रयोग है

चंदन की फसल की कटाई

चंदन का पेड़ जब 15 साल का हो जाता है तब इसकी लकड़ी प्राप्त की जाती है। चंदन के पेड़ की जड़े बहुत खुशबूदार होती है। इसलिए इसके पेड़ को काटने की बजाय जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है। पौधे को रोपने के पांच साल बाद से चंदन की रसदार लकड़ी बनना शुरू हो जाता है। चंदन के पेड़ को काटने पर उसे दो भाग निकलते हैं। एक रसदार लकड़ी होती है और दूसरी सूखी लकड़ी होती है। दोनों ही लकडिय़ों का मूल्य अलग-अलग होता है।

चंदन का बाजार भाव

देश में चंदन की मांग इतनी है कि इसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है। देश में चंदन की मांग 300 प्रतिशत है जबकि आपूर्ति मात्र 30 प्रतिशत है। देश के अलावा चंदन की लकड़ी की मांग चाइना, अमेरिका, इंडोनेशिया आदि देशों में भी है। वर्तमान में मैसूर की चंदन लडक़ी के भाव 25 हजार रुपए प्रति किलो के आसपास है। इसके अलावा बाजार में कई कंपनियां चंदन की लडक़ी को 5 हजार से 15 हजार रुपए किलो के भाव से बेच रही है। एक चंदन के पेड़ का वजन 20 से 40 किलो तक हो सकता है। इस अनुमान से पेड़ की कटाई-छंटाई के बाद भी एक पेड़ से 2 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है।

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चंदन के पेड़ से करोड़पति बनने की राह आसान

अगर कोई किसान चंदन के सौ पेड़ रोपता है और उसमें से अगर 70 पेड़ भी बड़े हो जाते हैं तो किसान 15 साल बाद पेड़ों को काटकर और बाजार में भेजकर एक करोड़ रुपए आसानी से प्राप्त कर सकता है। यह किसी भी बैंक में एफडी और प्रॉपर्टी में निवेश से भी कई गुना ज्यादा आपको लाभ दे सकता है।

चंदन की खेती के लिए लोन

देश में अब कई राष्ट्रीयकृत बैंक और को-ऑपरेटिव बैंक भी चंदन की खेती के लिए बैंक लोन उपलब्ध करा रही है।

चंदन की खेती के नियम

देश में साल 2000 से पहले आम लोगों को चंदन को उगाने और काटने की मनाही थी। साल 2000 के बाद सरकार ने अब चंदन की खेती को आसान बना दिया है। अगर कोई किसान चंदन की खेती करना चाहता है तो इसके लिए वह वन विभाग से संपर्क कर सकता है। चंदन की खेती के लिए किसी भी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है। केवल पेड़ की कटाई के समय वन विभाग से  नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होता है जो आसानी से मिल जाता है।

जानकारी : चंदन  / चंद की प्रजाति / रक्तचंदन औषधी वनस्पती

पूरे विश्व में चंदन की 16 प्रजातियां है। जिसमें सेंलम एल्बम प्रजातियां सबसे सुगंधित और औषधीय मानी जाती है। इसके अलावा लाल चंदन, सफेद चंदन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद संडालो प्रजाति की चंदन पाई जाती है।

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चंदन के बीज तथा पौधे कहां पर मिलते हैं? / चन्दन का पेड़ कहा मिलेगा

चंदन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीदे जा सकते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक (Institute of wood science & technology) संस्थान बैंगलोर में है। यहां से आप चंदन की पौध प्राप्त कर सकते हैं। 
पता इस प्रकार है :
Tree improvement and genetics division 
Institute of wood science and technology 
o.p. Malleshwaram Bangalore – 506003 (India) 
E-mail – tip_iwst@icfre.org 
tel no. – 00 91-80 – 22-190155 
fax number – 0091-80-23340529


किसान भाई अधिकारी जानकारी के लिए Institute of Wood Science and Technology – ICFRE की वेबसाइट iwst.icfre.gov.in पर संपर्क कर सकते हैं।

चंदन की किस्म / चंदन के प्रकार / लाल चंदन (रक्त चंदन), सफेद चंदन (Sandalwood Variety / Sandalwood Varieties / Red Sandalwood (Blood Sandalwood), White Sandalwood)

चंदन दो प्रकार का होता है। एक सफेद चंदन और दूसरा लाल चंदन (रक्त चंदन)। सफेद चंदन की खेती उत्तर भारत में और लाल चंदन की खेती दक्षिण भारत में होती है। सफेद चंदन की खेती के लिए 7.5 पीएच वाली मिट्टी की जरुरत होती है। वहीं लाल चंदन की खेती के लिए 4.5 से 6.5 पीएच वाली मिट्टी की जरुरत होती है। चंदन का पेड़ / चंदन का पौधा भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया, हवाई और प्रशांत द्वीप समूह में पाया जाता है। 

चंदन की कीमत 2021 / प्रति किलो 2021 लाल चंदन कीमत (Sandalwood Price 2021)

बाजार में चंदन लकड़ी का भाव सबसे महंगा है। लाल चंदन का बाजार मूल्य / लाल चंदन की कीमत 2021 प्रतिकिलो 26 हजार रुपए से लेकर 30 हजार रुपए है। वहीं सफेद चंदन का भाव / सफेद चंदन की कीमत लाल चंदन की कीमत से कुछ कम होती है। एक पेड़ से किसान को 15 से 20 किलो चंदन की लकड़ी मिल जाती है। 

असली चंदन की पहचान (Identification of Real Sandalwood)

असली चंदन की पहचान का सबसे आसान तरीका यह है कि आप चंदन की लडक़ी को किसी ठोस जगह पर रगड़े। आपको चंदन की लकड़ी उस समय तक रगडऩी या घिसनी है जब तक आप वह गर्म न हो जाए। घिसने के थोड़ी देर बाद चंदन की लकड़ी में से खुशबू आने लगती है। यही असली चंदन की पहचान है। 
 

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