Published - 16 Apr 2022
इस समय देश के अधिकांश राज्यों में गेहूं, चना सहित अन्य रबी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का काम चल रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर खरीद का काम केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से किया जाता है। अलग-अलग राज्यों में उपज की खरीद वहां के तय नियमों के अनुसार पर की जाती है। केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को प्रमुख फसलों की खरीद के लिए लक्ष्य तय किया जाता है। उसी तय किए लक्ष्य के अनुसार राज्यों द्वारा खरीद की जाती है। ये खरीद लक्ष्य से अधिक भी हो सकती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीद के निर्धारित नियमों के अनुसार ये तय किया जाता है कि एक किसान एक दिन में कितने क्विंटल उपज बेच सकता है।
इसी क्रम में मध्यप्रदेश में इस समय चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का काम जोर-शोर से चल रहा है। यहां एक किसान एक दिन में अधिकतम 25 क्विंटल चना ही बेच सकता था जिसे अब बढ़ा दिया गया है। इस संबंध में मध्यप्रदेश के किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने बताया कि पूर्व में उपार्जन केंद्रों पर चना फसल की प्रतिदिन प्रति किसान उपार्जन सीमा मात्र 25 क्विंटल थी, जिसे अब बढ़ाकर 40 क्विंटल कर दिया गया है।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसान अपनी ट्राली में 40 क्विंटल चना लेकर आता था लेकिन 25 क्विंटल की सीमा होने के कारण किसानों को 15 क्विंटल चना वापस ले जाना पड़ता था। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने दिल्ली में हुई चर्चा में किए गए अनुरोध पर किसानों के हित में निर्णय लेते हुए सीमा को 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल करने के निर्देश दे दिए गए हैं। अब एक किसान एक दिन में 40 क्विंटल तक चना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकेगा। इससे प्रदेश केे किसानों को लाभ होगा।
उपार्जन सीमा का निर्धारण इस शर्त के साथ किया गया है कि चना उपार्जन हेतु किसानों की उत्पादकता एवं भूमि अभिलेखों की मैपिंग की गई हो। राज्य कृषि मंत्री पटेल ने बताया कि अब किसान प्रतिदिन उपार्जन केंद्र पर 40 क्विंटल चना लेकर आ सकते हैं। भारत सरकार द्वारा सीमा में वृद्धि करते हुए आदेश जारी कर दिए हैं। केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के परिप्रेक्ष्य में राज्य शासन के कृषि विभाग ने भी प्रतिदिन, प्रति किसान चना उपार्जन सीमा में वृद्धि संबंधी आदेश जारी कर दिए गए हैं।
चना खरीद की लिमिट बढऩे से किसानों को बार-बार मंडी नहीं आना पड़ेगा। इससे उनके समय और खर्च की बचत होगी। वे एक बार में ही अपनी उपज मंडी लाकर बेच सकेंगे। पहले 25 क्विंटल की लिमिट होने से किसानों को दो बार मंडी आना पड़ता था। वहीं ट्रोली भी आधी खाली रहती थी। जिससे उनका मंडी आने का खर्च बढ़ जाता था और समय भी बर्बाद होता था। इस बात को ध्यान में रखते हुए राज्य कृषि मंत्री कमल पटेल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से लिमिट को 40 क्विंटल तक बढ़ाने का आग्रह किया था जिसे स्वीकार कर लिया गया।
केंद्र सरकार की ओर से हर रबी और खरीफ सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जाते हैं। रबी फसलों की बुआई से पहले ही रबी की विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जा चुके हैं, जिस पर ही सभी राज्यों में इन फसलों की सरकारी खरीद की जाएगी। इस वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं, चना, सरसों तथा जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है-
राज्य में इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना की खरीदी का काम 21 मार्च से शुरू हो चुका है। यहां 101 केंद्रों पर पंजीकृत किसान से चने की खरीद की जा रही है। चना की फसल बेचने के लिए राज्य के करीब सात लाख 43 हजार 487 किसानों ने पंजीयन कराया है। उपज बेचने के लिए एक लाख 34 हजार 962 किसानों को एसएमएस भेजें गए हैं। इनमें से 11 हजार 266 किसानों ने 18 हजार 285 मीट्रिक टन चना न्यूनतम समर्थन मूल्य बेच दिया है। प्रदेश में इस बार 21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चना की बुवाई की गई है।
इस बार मध्यप्रदेश सरकार ने आठ लाख 67 हजार मीट्रिक टन चना खरीदी का लक्ष्य रखा है। वहीं राज्य में गेहूं के लिए 129 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है। यहां 5 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा सरसों की खरीद की जाएगी। इसके अलावा दो लाख मीट्रिक टन मसूर की खरीद भी होगी। बता दें कि इस बार प्रदेश में गेहूं और चने की फसल काफी अच्छी हुई है।
मध्यप्रदेश का चना उत्पादन राज्यों में दूसरा स्थान है। राज्य के होशंगाबाद, नरसिंहपुर, विदिशा, उज्जैन, मंदसौर, धार, भिंड, मुरैना, शिवपुरी तथा रीवा, नीमच, गुना, शाजापुर, देवास, रतलाम, झाबुआ, जबलपुर, ग्वालियर, सीहोर, छिंदवाड़ा जिले में चने की खेती की जाती है। इसकेे अलावा यहां के बुंदेल खंड क्षेत्र के टीकमगढ़, छत्तरपुर, दमोह, दतिया, पन्ना, सागर में भी चने की खेती होती है।
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