प्रकाशित - 02 Sep 2022
सब्जियों में ब्रोकली की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। कई तरह के पोषक तत्वों वाली इस सब्जी की बाजार मांग काफी रहती है। इसे बड़े-बड़े मॉल्स और बाजारों में बेचा जाता है। कई बड़ी होटलों में इसकी सब्जी लोग बड़े चाव से खाते हैं। बोकली गोभी की तरह दिखाती है लेकिन पोष्ट्रिकता की दृष्टि से साधारण गोभी से कई अधिक फायदेमंद होती है। ब्रोकली की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने का ये उचित समय है। सामान्यत: ब्रोकली की नर्सरी तैयार करने का सबसे अच्छा समय सितंबर-अक्टूबर का महीना माना जाता है। वहीं मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अगस्त-सितंबर महीने में इसकी नर्सरी तैयार की जाती है।
ब्रोकली की खेती के लिए 18 से 23 डिग्री के बीच का तापमान बेहतर माना जाता है। इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु अच्छी मानी जाती है। ब्रोकोली को उत्तर भारत के मैदानी भागों में जाड़े के मौसम में अर्थात् सितंबर मध्य के बाद से फरवरी तक उगाया जा सकता है। वैसे ब्रोकली की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी बहुत अच्छी रहती है। इसकी पौध सितंबर मध्य से नवंबर के शुरू तक तैयार की जा सकती है।
ब्रोकली की किस्में मुख्यत: तीन प्रकार की होती है सफेद, हरी व बैंगनी। इनमें हरे रंग की किस्में लोगों द्वारा अधिक पसंद की जाती है। ब्रोकली की नाइन स्टार, पेरिनियल, इटैलियन ग्रीन स्प्राउटिंग या केलेब्रस, बाथम 29 और ग्रीन हेड प्रमुख किस्में हैं। वहीं इसकी संकर किस्मों में पाईरेट पेक में, प्रिमिय क्रॉप, क्लीपर, क्रुसेर, स्टिक व ग्रीन सर्फ़ मुख्य रूप से शामिल है।
ब्रोकली की नर्सरी ठीक फूलगोभी की नर्सरी की तरह ही तैयार की जाती है। इसके बाद इसका रोपण मुख्य खेत में किया जाता है। ब्रोकली की नर्सरी तैयार करने के लिए 3 फिट लंबी और 1 फिट चौड़ी तथा जमीन की सतह से 1.5 से. मी. ऊंची क्यारी में बीज की बुवाई की जाती है। इसकी बुवाई के लिए 400 से 500 ग्राम प्रति हैक्टेयर बीज दर के हिसाब से ली जाती है। क्यारी की अच्छी प्रकार से तैयारी करके एवं सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर बीज को पंक्तियों में 4-5 से.मी. की दूरी पर 2.5 से.मी. की गहराई पर बुवाई करते है बुवाई के बाद क्यारी को घास - फूस की महीन पर्त से ढक दिया जाता है। इसके बाद आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए। जब पौधा निकलना शुरू हो जाए तो ऊपर से घास-फूस को हटा देना चाहिए। नर्सरी में पौधों को कीटों से बचाव के लिए नीम का काढ़ा या गोमूत्र का प्रयोग किया जा सकता है।
नर्सरी में पौधों को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक दवाओं से उपचारित करना बहुत जरूरी है। ब्रोकली के रोग मुक्त, स्वस्थ पौधे प्राप्त करने के लिए बुवाई से पहले कैप्टान 50 डबल्यूपी 1 ग्राम/100 बीज की दर से उपचारित किया जाना चाहिए। बुवाई के समय बीज की गहराई एवं दूरी का ध्यान रखना भी आवश्यक है। बीज की दूरी 4 से 5 सेंटीमीटर और गहराई 2.5 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इससे बीज का अंकुरण बेहतर होता है।
बीज बोने के करीब 4 से 5 सप्ताह में इसकी पौध खेत में रोपाई करने योग्य हो जाती हैं। ब्रोकली के बीजों की रोपाई पंक्तियों में की जानी चाहिए ताकि निराई-गुड़ाई का काम आसानी से हो सके। रोपाई के समय कतार से कतार की दूरी 45 सेंटी मीटर और पौध से पौध के बीच का फासला 30 सेंटी मीटर रखनी चाहिए। रोपाई करते समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। वहीं रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई अवश्य जरूर करनी चाहिए।
खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल मिट्टी के परिक्षण के आधार पर किया जाना चाहिए। फिर भी सामान्यत: ब्रोकली की फसल को गोबर की सड़ी खाद 50-60 टन, नाईट्रोजन 100-120 किलोग्राम प्रति हैैक्टेयर, फॉसफोरस 45-50 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की आवश्यकता होती है। इसमें गोबर तथा फॉसफोरस खादों की मात्रा को खेत की तैयारी में रोपाई से पहले मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला देनी चाहिए। वहीं नाइट्रोजन की खाद को 2 या 3 भागों में बांटकर रोपाई के क्रमश: 25, 45 तथा 60 दिन बाद प्रयोग करना चाहिए। नाइट्रोजन की खाद दूसरी बार लगाने के बाद, पौधों पर मिट्टी की परत चढ़ाना लाभदायक रहता है।
ब्रोकली की फसल को आवश्यतानुसार सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके लिए हर 10-15 दिन के अंतराल में फसल की सिंचाई की जानी चाहिए। इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि खेत में सिंचाई के समय पानी इक्ट्ठा नहीं हो। क्योंकि खेत में अधिक पानी जमा होने पर बोकली की फसल खराब हो सकती है। इसलिए खेत में जल निकास की व्यवस्था को दुरूस्त रखना चाहिए।
ब्रोकली में फल जब सामान्य आकार हो जाए तब इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए। देरी से इसकी तुड़ाई करने पर इसमें दरारें पडऩी शुरू हो जाती हैं। इसके गुच्छे बिखर जाते हैं। आम तौर पर 60 से 65 दिनों में फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। ब्रोकली की अच्छी फसल से करीब 12 से 15 टन प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि आपने इस बार खेत में ब्रोकली की बोई है तो दूसरी बार अन्य फसल बोनी चाहिए। ऐसा इसलिए कि ब्रोकली की खेती के दौरान कई प्रकार के खरपतवार हो जाते हैं। इसमें कीट शरण लेकर खेत में रोगों को बढ़ावा देते हैं। इससे फसल को नुकसान होता है और उत्पादन में कमी आती है।
ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों ऐस ट्रैक्टर, फोर्स ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।
Social Share ✖