प्रकाशित - 06 Sep 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
सरकार की ओर से किसानों की आमदनी बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार की ओर से कई प्रकार की लाभकारी योजनाएं किसानों के लिए चलाई जा रही हैं। वहीं किसान भी अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं, इसके लिए अब उनका रूझान पारंपरिक फसलों के स्थान पर अधिक कमाई देने वाली फसलों की ओर बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में मशरूम की खेती किसानों के लिए कमाई बढ़ाने वाली साबित हो रही है। मशरूम की खेती से कई किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं। इसकी खेती को सरकार की ओर से भी बढ़ावा दिया जाता है। इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान किया जाता है।
आज उत्पादन बढ़ाने को लेकर नई-नई किस्मों को विकसित किया जा रहा है जिससे किसानों को मुनाफा हो सके। इसी क्रम में मशरूम की किस्म ब्लू ऑयस्टर है जिसकी देश विदेश के बाजारों में काफी मांग है। इसे देखते हुए किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। ये किस्म किसानों को लाखों की कमाई करा सकती है। ये बहुत ही जल्द तैयार होने वाली किस्म के साथ ही बाजार में भी इसकी मांग बहुत है।
ब्लू ऑयस्टर मशरूम सीप की आकृति की तरह दिखाई देता है। इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है। ब्लू ऑयस्टर मशरूम में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। स्वाद के मामले में भी ये अन्य मशरूम से अलग होता है। इसकी इन्हीं विशेषताओं के कारण इसकी बाजार में काफी मांग है।
बता दें कि मशरूम की खेती अधिकांशत: पहाड़ी इलाकों में की जाती है। लेकिन इसके लाभों को देखते हुए इसकी खेती अब सब जगह होने लगी है। इसकी खेती के लिए लंबे-चौड़े खेत की जरूरत नहीं होती है। आप इसकी खेती एक छोटे से कमरे से भी शुरू कर सकते हैं। इसे चावल के पुआल पर भी उगाया जा सकता है।
ब्लू ऑयस्टर मशरूम की खेती कम लागत पर अधिक मुनाफा देने वाली किस्म है। इसकी खेती में अधिक खर्च करने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। वहीं इसे उगाने के लिए आपको कोई खास तरीका नहीं अपनाना है। इसे आप अपने खेत में बाकी मशरूमों की खेती की तरह उगा सकते हैं।
ब्लू ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिए सबसे पहले पुआल तैयार किया जाता है। इसे आप सोयाबीन की खोई, गेहूं के भूसे, धान के पुआल, मक्का के डंठल, तिल, अरहर, बाजारा, गन्ने की खोई, सरसों के पुआल, कागज के कचरे, कार्डबोर्ड, लकड़ी के बुरादे जैसे कृषि अवशिष्टों तैयार कर सकते हैं। इसके बाद आप पुआल को पॉलीथिन बैग में सही से भरकर बिजाई के लिए अच्छे से तैयार कर लें और फिर सभी बैग के मुंह को बांध दें। इसके बाद उन सभी बैगों में 10 से 15 छेद कर दें। अंत में इन्हें किसी अंधेरे और एकांत कमरे में बंद करके छोड़ दें। विशेषज्ञों के अनुसार 15-17 दिनों में प्लास्टिक बैग में मशरूम का कवक जाल पूरी तरह से फैल जाएगा। वहीं करीब 23-24 दिनों बाद ये पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे जिसकी आप तुड़ाई कर सकते हैं।
बिहार सरकार के कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की ओर से एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत किसानों को मशरूम की खेती के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। इस योजना के तहत मशरूम उत्पादन इकाई की कुल लागत 20 लाख रुपए निर्धारित की गई है। इस लागत का 50 प्रतिशत खर्च यानी 10 लाख रुपए राज्य सरकार द्वारा वहन किए जाते हैं। इस योजना के तहत राज्य किसानों को 10 लाख तक की सब्सिडी दी जाती है।
यह मशरूम बाजार में करीब 150-200 रुपए प्रति किलो के भाव से बिकते हैं। ऐसे में आप इसकी खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं। वहीं मशरूम का पाउडर बना कर भी इसे बेचा जा सकता हैं, क्योंकि बॉडी बिल्डिंग के लिए तैयार किए जाने वाले हैल्थ सप्लीमेंट में इसका काफी इस्तेमाल किया जाता है।
यदि आप मशरूम की खेती बड़े स्तर पर करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए ट्रेनिंग जरूर लेनी चाहिए। इसकी खेती का प्रशिक्षण सभी एकग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज और कृषि अनुसंधान केंद्रों में दिया जाता है। आप वहां से इसकी खेती का पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त करके इससे अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं। इन प्रशिक्षण शिविरों में मशरूम की खेती, मशरूम का विक्रय के लिए मार्केट आदि की जानकारी दी जाती है।
यदि आप मशरूम का बीज खरीदना चाहते हैं तो आप सरकारी कृषि केंद्र पर जाकर मशरूम का बीज खरीद सकते हैं। वहीं प्राइवेट नर्सरी से भी इसके बीज खरीदे जा सकते हैं। आजकल तो अमेजन जैसी साइटें भी ऑनलाइन बीज का विक्रय करती हैं। अब बात आती है कि इसका बीज कितने रुपए में मिलेगा। तो बता दें कि मशरूम का बीज आपको 75 से 80 रुपए प्रति किलो मिल जाएगा। लेकिन कई बार बीज की कीमत उसकी ब्रांड और किस्म पर भी निर्भर करती है। ये आप पर निर्भर करता है कि आप किस किस्म और ब्रांड का बीज खरीदना चाहते हैं। इसलिए बीज की क्वालिटी और ब्रांड के हिसाब से कीमत में उतार-चढ़ाव संभव है।
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