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बड़ी इलायची की खेती : जानें खेती का सही समय, तरीका और उन्नत किस्में

प्रकाशित - 21 Sep 2022

जानें, बड़ी इलायची की खेती की पूरी जानकारी

भारत में पारंपरिक खेती के साथ-साथ आय के साधन बढ़ाने के लिए किसान अब खेती को आधुनिक व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं। बड़ी इलायची को काली इलायची व भूरी इलायची भी कहा जाता है। बड़ी इलायची को मसालों की रानी के रूप में जाना जाता है, इसीलिए इसका उपयोग मुख्य रुप से मसालों में होता है, रसोई में इसका उपयोग भोजन में स्वाद व सुगंध को बढ़ाने के लिए होता है।

इलायची एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है। इस पौधे को इलायची, वेलाडोडा, विलायाची, वेलदोडा, इलाची और एला के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग मिठाई में खुशबू के लिए किया जाता है। यदि सही तरीके से बड़ी इलायची की खेती की जाए तो इससे काफी अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसान भाइयों को बड़ी इलायची की खेती की जानकारी दे रहे हैं। उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए लाभकारी होगी।

बड़ी इलायची की खेती करने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें

बड़ी इलायची की खेती (Badi Elaichi Ki Kheti) करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक हैं। आईए जानते हैं कि बड़ी इलायची की खेती कैसे होती है 

1. मिट्टी और जलवायु

बड़ी इलायची की खेती (Cardamom Farming) करने के लिए काली गहरी दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है। जिस खेत में बड़ी इलायची की खेती की जा रही है उस खेत की मिट्टी में प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन , फास्फोरस और पोटाश का होना बहुत जरूरी है। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान4.5 से लेकर 7.2 तक होना चाहिए। वहीं जलवायु की बात करें तो इलायची की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय गर्म जलवायु को सबसे अच्छा माना गया है। बड़ी इलायची की खेती के लिए 10 डिग्री से 35 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान की आवश्यकता होती है।

2. बड़ी इलायची के पौधों को नर्सरी में कैसे तैयार करें

बड़ी इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले इसे नर्सरी में तैयार किया जाता है। इसके लिए नर्सरी में बड़ी इलायची के बीजों की बुवाई 10 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए। इसके लिए एक हैक्टेयर में खेती करने के लिए एक किलोग्राम इलायची का बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है। जब इलायची के बीज का अंकुरण होने लग जाए तब आपको सूखी घास से अंकुरित पौधों के गड्ढों को ढक देना चाहिए।

3. रोपाई का समय

बड़ी इलायची रोपने के लिए जुलाई का महीना सर्वक्षेष्ठ होता है। बड़ी इलायची के पौधे की जुलाई या अगस्त के महीने में रोपाई करें। पौधे की रोपाई करने से पहले 30 सेंटीमीटर लम्बा, 30 सेंटीमीटर चौड़ा और 30 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा खोद लें। इसकी 15 सेंटीमीटर नीचे की मिटटी को अलग निकालकर रख दें। इसके बाद अलग रखी हुई मिटटी में जैविक खाद या गोबर की खाद मिलाकर गड्डे में भर दें। इसके बाद इस गड्डे में पौधे को लगाएं, एक पौधे से दूसरे पौधे की बीच की दूरी 1. 5 मीटर की होनी चाहिए। एक हेक्टेयर खेत में कम से कम 400 पौधे लगाने चाहिए। खेत के चारों ओर बड़े व छायादार पेड़ होने चाहिए जिससे इसके पौधों को छाया प्राप्त हो सके। छाया में इसकी अधिक वृद्धि होती है और हमे अधिक से अधिक उपज की प्राप्ति होती है। 

4. खाद और उर्वरक

बड़ी इलायची की रोपाई करते समय 1 किलोग्राम माइक्रो भू पावर , 1 किलो माइक्रो फर्ट सिटी कम्पोस्ट, 1 किलो सुपर गोल्ड मैग्नीशियम , 1 किलो सुपर गोल्ड कैल्सी और 1 किलो माइक्रो नीम आदि खाद को आपस में मिलाकर एक अच्छा सा मिश्रण तैयार करें।  इस खाद के मिश्रण को बड़ी इलायची की रोपाई करते समय जुलाई में और नवम्बर के महीने में खेत में उगी हुई फसल में खाद के मिश्रण को डाले। इसके लावा एक साल में दो बार गोबर की सड़ी हुई खाद और कम्पोस्ट खाद को भूमि में डाल दें|

5. सिंचाई

बड़ी इलायची की खेती में सिंचाई की निरंतर आवश्यकता पड़ती हैं। बड़ी इलायची की खेती में मानसून खत्म होने के बाद तत्काल सिंचाई  की व्यवस्था की जानी चाहिए। बड़ी इलायची के खेत में  मिट्टी में नियमित नमी सुनिश्चित करनी चाहिए, यदि मिट्टी उपजाऊ है तो चार दिन में एक बार सिंचाई करना पर्याप्त है।

6. निराई-गुडाई

बड़ी इलायची की फसल में समय-समय पर खरपतवार के नियंत्रण के लिए निराई-गुडाई करते रहना चाहिए। खेत को हमेशा खरपतवार से मुक्त रखने के लिए एक साल में 3 से 4 बार निराई-गुडाई करना पर्याप्त हैं।

7. फसल की कटाई

बड़ी इलायची में फल आने पर और ऊपर से नीचे फल पकने के बाद फल युक्त शाखा को भूमि से 45 सेंटीमीटर ऊपर से काटना चाहिये। इसके बाद फलों को अलग निकालकर छाया में सुखाना चाहिए।

8. उत्पादन और लाभ

बड़ी इलायची की खेती से किसान एक वर्ष में 2-3 लाख प्रति हेक्टेयर की कमाई कर सकते है। बड़ी इलायची की कीमत बाजार में 900 से 1200 रुपये प्रति किलो तक है। बड़ी इलायची का पौधा पहले और दुसरे साल में बढ़ता है और विकसित होता है। तीसरे और चौथे साल में एक हेक्टेयर खेत से 500 से 700 किलोग्राम की उपज प्राप्त की जा सकती है।

9. भंडारण

पूरी तरह से सूखे हुए बीजों को पोलीथिन से बने बस्तों में भर दें। फिर इसे लकड़ी से बने हुए बक्से में इस तरह से रखे कि इसमें नमी ना जा सके। इसके आलावा हमें इसके बीजों को फफूंदी व अन्य रोगों से भी बचाना चाहिए।


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