Published - 21 Feb 2022
किसानों खेती के साथ मधुमक्खी पालन करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। किसान खेत में ही मधुमक्खी पालन का काम शुरू कर सकते हैं। मधुमक्खी पालन के लिए सरकार से भी सहायता मिलती है। इसके अलावा सरकार की ओर से समय-समय पर मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाता है। यदि आप मधुमक्खी पालन का अनुभव नहीं रखते तो भी कोई बात नहीं आप सरकार की ओर से आयोजित होने वाले शिविरों में इसका प्रशिक्षण ले सकते हैं। इसके अलावा कई प्राइवेट संस्थान भी इसका प्रशिक्षण देते हैं। वहां से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है। अभी फिलहाल मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के आदर्श विकास खंड अजयगढ़ में उद्यानिकी विभाग की ओर से आगामी 28 फरवरी को एक दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में विशेष रूप से ज्योति ग्रामोद्योग संस्थान, सहारनपुर उप्र के अध्यक्ष, शहद निर्यातक एवं मधुमक्खी विशेषज्ञ अजय कुमार सैनी एवं अन्य वैज्ञानिक अजयगढ़ आ रहे हैं। सहायक संचालक (उद्यानिकी ) ने किसानों से आह्वान किया है कि अधिक से अधिक संख्या में इस प्रशिक्षण में भाग लेकर स्वावलम्बी बनें।
सहायक संचालक श्री महेंद्र मोहन भट्ट ने मीडिया को बताया कि यह प्रशिक्षण 28 फरवरी को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक शासकीय उद्यान, ऐशबाग रोपणी,वरियापुर रोड, अजयगढ़ में आयोजित किया जा रहा है। इस मौके पर अजय कुमार सैनी, सहारनपुर द्वारा मधुमक्खी के जीवन वृत्त पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। अजय विकास खंड के ग्राम खोरा के किसानों द्वारा स्वरोजगार के रूप में मधुमक्खी का पालन किया जा रहा है, जिसमें उद्यान विभाग द्वारा अनुदान दिया गया है।
बता दें कि पन्ना जिले में मधुमक्खी पालन से शहद की प्रचूर मात्रा में उपलब्धता से निर्यात की संभावनाएं अधिक है। इससे जिले में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और किसानों द्वारा शहद के प्रसंस्करण उद्योग लगाए जाने की भी संभावना है। मधुमक्खी द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से फसल में 77 प्रतिशत परागण की क्रिया की जाती है, जिससे किसानों के फसल उत्पादन में 20 -80 प्र्रतिशत तक की वृद्धि होती है। इसके अलावा मधुमक्खी के गृह उत्पाद रॉयल जैली, शहद, पराग, प्रोपोलिस, मोम आदि का भी उत्पादन किया जाता है।
मधुमक्खी पालन करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। इसमें लागत भी कम आती है और कमाई भी अच्छी होती है। इसका प्रशिक्षण प्राप्त करके युवा कम लागत पर अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सरकार से अनुदान भी दिया जाता है। हरियाणा सरकार द्वारा भी मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान दिया जाता है। किसानों को खेती के साथ मधुमक्खी का व्यवसाय भी करना चाहिए, इससे आय के स्रोतों को बढ़ावा मिलता है।
बता दें कि हरियाणा सरकार की ओर से अनुसूचित वर्ग के परिवार के मधुमक्खी पालक को अपना व्यवसाय चलाने के लिए 50 बक्सों पर 80 हजार रुपए अनुदान दिया जाता है। मार्केट में मधुमक्खी के शहद की पर्याप्त मात्रा में खरीद की जाती है, करनाल के दर्जनों लोगों ने इसे अपनाकर लाखों रुपए का लाभ कमाया है।
मधुमक्खी व्यवसाय के लिए नवंबर काफी अहम माना जाता है। इस महीने में मधुमक्खियों द्वारा शहद इकट्ठा करने का उत्तम समय होता है। सूरजमुखी, अरहर और तोरिया के फूलों से शहद लेकर मधुमक्खियां बक्सों में रखे छत्तों में इकट्ठा करती है। इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले उद्यानिकी विभाग की तरफ से प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि कोई भी व्यक्ति आसानी से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय कर सकें।
शहद का उपयोग पूजा से लेकर सौंदर्य प्रसाधन और पौष्टिकता के लिए किया जाता है। इसमें विटामिन ए, बी2, बी5, बी6 के साथ ग्लूकोज, फ्रक्टोज, पोटैशियम, कैल्सियम, सल्फर, फास्फेट, जिंक व आयरन आदि खनिज तत्व होते हैं। यह आंखों की रोशनी तेज करने व श्वास संबंधी बीमारी दूर करने में उपयोगी है। इससे कई प्रकार की दवा, क्रीम, ऑयल आदि बनते हैं। मोटापा कम करने, घाव ठीक करने और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।
एक बक्से में पांच से सात हजार मधुमक्खियां रहती हैं। इसमें एक रानी मधुमक्खी और कुछ ड्रोन (नर मधुमक्खी) व वर्कर मधुमक्खी रहती हैं। फूल के समय आम तौर पर जनवरी-फरवरी से अप्रैल-मई तक खेतों ओर बगीचों में बक्से रखे जाते हैं। तीन किमी की रेंज से मधुमक्खियां फूलों से रस लाकर बक्से के छत्ते में भरती हैं। एक दिन में रानी मधुमक्खी 1500 से 2000 अंडे देती है। वर्कर मधुमक्खियां अपने पंख से लाए रस को झेलते हुए पानी सुखाते हैं और शहद तैयार होता है। प्रोसेसिंग यूनिट में मशीनों से छत्ते से शहद निकाल कर पैक किया जाता है।
मधुमक्खी पालन से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। इनमें से कुछ लाभ इस प्रकार से हैं-
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