अप्रैल माह में लगाएं ये 10 फसलें, होगा भरपूर फायदा

Share Product Published - 09 Apr 2021 by Tractor Junction

अप्रैल माह में लगाएं ये 10 फसलें, होगा भरपूर फायदा

जानें, किन किस्मों की करें बुवाई और क्या रखें सावधानी?

जिन किसान भाइयों के खेतों रबी की फसल कटाई का काम पूरा हो गया है वे किसान भाई अगली फसलों की बुवाई कर सकते हैं। किसान भाइयों की सुविधा के लिए हम हर माह, महीने के हिसाब से फसलों की बुवाई की जानकारी देते हैं। जिससे आप सही समय पर फसल की बुवाई कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सके। इसी क्रम में आज हम अप्रैल माह में बोई जाने वाली फसलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसी के साथ उनकी अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों से भी आपको अवगत करा रहे हैं ताकि आप अपने क्षेत्र के अनुकूल रहने वाली उन्नत किस्मों का चयन करके उत्पादन को बढ़ा सके। आशा करते हैं हमारे द्वारा दी जा रही ये जानकारी किसान भाइयों के लिए फायदेमंद साबित होगी। तो आइए जानते हैं अप्रैल माह में बोई जाने वाली फसलों के बारे में।

 

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1. मूंग : इस किस्म का करें चयन, 67 दिन में होगी तैयार

पूसा बैशाखी मूंग की व मास 338 और टी 9 उर्द की किस्में गेहूं कटने के बाद अप्रैल में लगा सकते है। मूंग 67 दिनों में व मास 90 दिनों में धान रोपाई से पहले पक जाते है तथा 3-4 क्विंटल पैदावार देते हैं। मूंग के 8 कि.ग्रा. बीज को 16 ग्राम वाविस्टीन से उपचारित करने के बाद राइजावियम जैव खाद से उपचार करके छाया में सुखा लें। एक फुट दूर बनी नालियों में 1/4 बोरा यूरिया व 1.5 बोरे सिंगल सुपर फास्फेट डालकर ढक दें फिर बीज को 2 इंच दूरी तथा 2 इंच गहराई पर बोएं। यदि बसंकालीन गन्ना 3 फुट दूरी पर बोया है तो 2 लाइनों के बीच सह-फसल के रूप में इन फसलों को बोया जा सकता है। इस स्थिति में 1/2 बोरा डी.ए.पी. सह-फसलों के लिए अतिरिक्त डालें।


2. मूंगफली : अप्रैल के अंतिम सप्ताह में करें बुवाई

इसकी एस जी 84 व एम 722 किस्में सिंचित हालत में अप्रैल के अंतिम सप्ताह में गेहूं की कटाई के तुरंत बाद बोई जा सकती हैं जोकि अगस्त अंत तक या सितंबर शुरू तक तैयार हो जाती है। मूंगफली को अच्छी जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी में उगाना चाहिए। 38 किलोग्राम स्वस्थ दाना बीज को 200 ग्राम थीरम से उपचारित करके फिर राइजोवियम जैव खाद से उपचारित करें। लाइनों में एक फुट तथा पौधों में 9 इंच की दूरी पर बीज 2 इंच से गहरा प्लांटर की मदद से बो सकते है। बीजाई पर 1/4 बोरा यूरिया, 1 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट, 1/3 बोरा म्यूरेट आफ पोटाश तथा 70 किलोग्राम जिप्सम डालें।


3. साठी मक्का : पूरे अप्रैल लगा सकते हैं साठी मक्का की ये किस्म

साठी मक्का की पंजाब साठी-1 किस्म को पूरे अप्रैल में लगा सकते है। यह किस्म गर्मी सहन कर सकती है तथा 70 दिनों मेंपककर 9 किवंटल पैदावाद देती है। खेत धान की फसल लगाने के लिए समय पर खाली हो जाता है। साठी मक्का के 6 कि.ग्रा. बीज को 18 ग्राम वैवस्टीन दवाई से उपचारित कर 1 फुट लाइन में व आधा फुट दूरी पौधों में रखकर प्लांटर से भी बीज सकते है। बीजाई पर आधा बोरा यूरिया, 1.7 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट व 1/3 बोरा म्यूरेट आफ पोटास डाले। यदि पिछले वर्ष जिंक नहीं डाला तो 10 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट भी जरूर डालें।


5. बेबी कार्न : ये किस्म 60 दिन में पककर हो जाएगी तैयार

बेबीकार्न की संकर प्रकाश व कम्पोजिट केसरी किस्मों के 16 किलोग्राम बीज को एक फुट लाइनों में तथा 8 इंच पौधों में दूरी रखकर बोएं। खाद मात्रा साठी मक्का के बराबर ही है। यह फसल 60 दिन में तैयार हो जाती है। बता दें कि इस मक्का के बिल्कुल कच्चे भुट्टे बिक जाते है जो कि होटलों में सलाद, सब्जी, अचार, पकौड़े व सूप बनाने के काम में आते है। इसके अलावा हमारे देश से इसका निर्यात भी किया जाता है।


6. अरहर : अरहर के साथ मूंग या उड़द की मिश्रित फसल लगाएं

किसान भाई सिंचित अवस्था में टी-21 तथा यू.पी. ए. एस. 120 किस्में अप्रैल में लग सकती है। 7 कि.ग्रा. बीज को राइजोवियम जैव खाद के साथ उपचारित करके 1.7 फुट दूर लाइनों में बोया जाना चाहिए। बीजाई पर 1/3 बोरा यूरिया व 2 बोरे सिंगल सुपर फास्फेट डालनी चाहिए। अरहर की 2 लाइनों के बीच एक मिश्रित फसल ( मूंग या उड़द) की लाइन भी लगाई जा सकती है जो 60 से 90 दिन में तैयार हो जाती है।


7. गन्ना : दस्ताने पहन कर करें उपचारित

गेहूं की कटाई के बाद अप्रैल में गन्ना की किस्म सी.ओ.एच.-37 को दवि-पंक्ति विधि से लगाएं। फसल में 1 बोरा डी.ए.पी. तथा 1 बोरा यूरिया 2-2.5 फुट दूर बनी लाइनों में डालकर मिट्टी से ढक दे फिर ऊपर 37000 दो आखों वाली या 23000 तीन आखों वाली पोरियों (37-40 किंवटल) को 6 प्रतिशत पारायुक्त ऐमीसान या 0.27 प्रतिशत मेन्कोजैव के 100 लीटर पानी के घोल में 4-5 मिनट तक डुबों कर लगाएं। उपचार करने वाला व्यक्ति रबड़ के दस्ताने पहने तथा उसके हाथ में खरोंच न हो। पहली सिंचाई 6 सप्ताह बाद करें।


8. कपास : दीमक से बचाव के लिए करें बीजों का उपचार

गेहूं के खेत खाली होते ही कपास की तैयारी शुरू कर कर सकते हैं। कपास की किस्मों में ए ए एच 1, एच डी 107, एच 777, एच एस 45, एच एस 6 हरियाणा में तथा संकर एल एम एच 144, एफ 1861, एफ 1378 एफ 846, एल एच 1776, देशी एल डी 694 व 327 पंजाब में लगा सकते है। बीज मात्रा (रोएं रहित) संकर किस्में 1.7 कि.ग्रा. तथा देशी किस्में 3 से 7 कि.ग्रा. को 7 ग्राम ऐमीसान, 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन, 1 ग्राम सक्सीनिक तेजाब को 10 लीटर पानी के घोल में 2 घंटे रखें। फिर दीमक से बचाव के लिए 10 मि.ली. पानी में 10 मि.ली. क्लोरीपाईरीफास मिलाकर बीज पर छिडक़ दें तथा 30-40 मिनट छाया में सुखाकर बीज दें। यदि क्षेत्र में जड़ गलन की समया है तो बाद में 2 ग्राम वाविस्टीन प्रति कि.ग्रा. बीज के हिसाब से सूखा बीज उपचार भी कर लें। कपास को खाद - बीज ड्रिल या प्लाटर की सहायता से 2 फुट लाइनों में व 1 फुट पौधों में दूरी रखकर 2 इंच तक गहरा बोएं।


9. लोबिया : धान व मक्का के बीच उगाएं लोबिया

एफ एस 68 किस्म 67-70 दिनों में तैयार हो जाती है तथा गेहूं कटने के बाद एवं धान, मक्का लगने के बीच फिट हो जाती है तथा 3 क्विंटल तक पैदावार देती है। 12 किलोग्राम बीज को 1 फुट दूर लाइनों में लगाएं तथा पौधों में 3-4 इंच का फासला रखें। बीजाई पर 1/3 बोरा यूरिया व 2 बोरे सिंगल सुपर फास्फेट डालें। 20-25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें।


10. चौलाई : आधी इंच से गहरा न बोएं बीज

चौलई की फसल अप्रैल में लग सकती है, जिसके लिए पूसा किर्ति व पूसा किरण 500-600 किग्रा. पैदावार देती है। 700 ग्राम बीज को लाइनों में 6 इंच और पौधों में एक इंच दूरी पर आधी इंच से गहरा न लगाएं। बुवाई पर 10 टन कम्पोस्ट, आधा बोरा यूरिया और 2.7 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट डालें।

 

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