प्रकाशित - 01 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों को परंपरागत फसलों के साथ ही अधिक मुनाफे वाली फसलों की खेती भी करनी चाहिए। इससे किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। आज कई किसान अलग-अलग तरह की फसलों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसी कड़ी में बादाम की खेती (almond cultivation) किसानों के लिए लाभकारी हो सकती है। बादाम की बाजार मांग काफी रहती है। इसका उपयोग कई दवाइयों में किया जाता है। इसका तेल भी आयुर्वेदक दवाई के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। बादाम जहां सेहत के लिहाज से बेहतर है। वहीं इसकी खेती किसानों की इनकम को बढ़ा सकती है। इसकी मांग हर मौसम में बनी रहती है। गर्मियों में ठंडाई, शीतल पेय, आइसक्रीम व मिठाई बनाने में इसका प्रयोग काफी किया जाता है। इसी से बादाम का हलवा भी बनाया जाता है जिसे शादी-ब्याह में अधिक पसंद किया जाता है। बादाम ड्राई फ्रूट्स के अंतर्गत आता है। इसके भाव भी बाजार में काफी अच्छे मिलते हैं। ऐसे में इसकी खेती किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती है। खास बात यह है कि इसे एक बार लगा दिया जाए तो इससे करीब 50 सालों तक अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको बादाम की उन्नत खेती (Advanced Cultivation of Almond) की जानकारी के साथ ही इससे कितना लाभ प्राप्त किया जा सकता है इसकी जानकारी दे रहे हैं।
बादाम की खेती (almond farming) करने से पहले यह जान लेना बेहद जरूरी है कि बादाम की खेती से कितना लाभ कमाया जा सकता है, तो बता दें कि बादाम के प्रत्येक पेड़ से 6-7 महीने में 2.5 किलोग्राम तक बादाम गिरी मिल जाती है। इसका बाजार भाव 600 से 1000 रुपए प्रति किलोग्राम होता है। यदि आप अपने बगीचे में बादाम के 50 पौधे भी लगाते हैं तो सब खर्च काटने के बाद भी 7 माह में आपको 50,000 रुपए का शुद्ध लाभ प्राप्त हो जाएगा। ऐसे में इसकी खेती आपके लिए मुनाफे का सौदा बन सकती है। इसके अलावा आप इसके बाग में मधुमक्खी पालन (Bee keeping) करके और शहद उत्पादन (honey production) करके भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। इसके अलावा इसके साथ सहफसली खेती (intercropping) करके भी बेहतर लाभ कमाया जा सकता है। हालांकि बादाम के बाग में पहली उपज तीन से चार साल में मिलती है लेकिन इसके पेड़ को पूर्णरूप से विकसित होने में 6 साल का समय लगता है। इसके बाद आप हर साल इस पेड़ से बादाम गिरी प्राप्त कर सकते हैं। खास बात ये हैं कि इसको एक बार लगाने पर इसका पेड़ 50 साल तक फल देता है यानि 50 साल तक इसके पेड़ से कमाई मिलती रहती है।
अभी तक बादाम की खेती के लिए जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का ही मौसम ही इसके अनुकूल माना जाता था, लेकिन अब इसकी खेती समतल गर्म क्षेत्रों में भी किसान कर रहे हैं। बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश ओर गुजरात जैसे राज्यों में भी अब बादाम की खेती शौकिया तौर पर की जा रही है। यहां कई किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। गुजरात में बादाम की खेती के लिए ऑस्ट्रेलिया बादाम काफी पसंद किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुजरात के वडोदरा में किसान परेश पटेल ने इसकी खेती शुरू की है और इससे अच्छा पैसा भी वे कमा रहे हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश से बादाम के पौधे मंगवाये थे।
बादाम की खेती के लिए थोड़ी सर्द और मध्यम जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके अलावा इसके लिए बलुई दोमट चिकनी मिट्टी और गहरी उपजाऊ मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पीएच मान 5 से 8 के बीच होना चाहिए। बता दें कि इसकी खेती करने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करा लें ताकि मिट्टी में पोषक तत्व की कमी को पूरा किया जा सके जिससे अच्छा उत्पादन मिल सके।
बादाम के पौधे की रोपाई नवंबर और दिसंबर के महीने के मध्य करना अच्छा माना जाता है। क्योंकि इस समय जो वातावरण होता है वह इसके लिए अनुकूल माना जाता है। इस समय इसका पौधा ठीक से विकास करता है।
बादाम की खेती के लिए खेत की मिट्टी को समतल बना लेना चाहिए। इसके लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए। इसके लिए ट्रैक्टर व रोटावेटर प्रयोग किया जा सकता है। इसके बाद कल्टीवेटर चलाकर खेत की दो से तीन गहरी जुताई करनी चाहिए। इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर ले। इसके बाद 5 से 8 मीटर की दूरी पर एक से आधे मीटर के गहरे गड्ढे तैयार कर लें। इसके बाद इसमें पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद में रासायनिक उवर्रक की उचित मात्रा मिलाकर उसे गड्ढों में भर दें। इन गड्ढों को बादाम के पौधों की रोपाई के एक महीने पहले तैयार कर लें। अब तैयार किए गए गड्ढ़ों में बादाम के पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए। पौधों को तैयार किए गए गड्ढों में एक छोटा सा गड्ढा कर के लगाया जाता है। पौधों को लगाने से पहले इन गड्ढों को गोमूत्र या बाविस्टिन से उपचारित कर लेना चाहिए ताकि रोगों का प्रभाव नहीं हो। इसके बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें। इस बात का ध्यान रखें कि पौधे किसी मान्यता प्राप्त नर्सरी से ही लिए गए हो जिससे उत्पादन बेहतर हो सके और बाजार मांग के हिसाब से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन मिल सके ताकि उसे बाजार में आसानी से बेचा जा सके।
बादाम की खेती के अंतर्गत पौधों को उर्वरक की सही मात्रा मिलनी बेहद जरूरी है तभी वे ठीक से विकास कर पाएंगे। सबसे पहले गड्डे तैयार करते समय 20 से 25 किलो पुरानी गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छे से मिलाकर गड्ढों में भर देनी चाहिए। इसके अलावा एनपीके की 100 ग्राम की मात्रा को तीन साल के अंतर में पौधे को देना चाहिए। इसके बाद पौधों में फल लगने की अवस्था में आवश्यकतानुसार उर्वरक की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए।
बादाम के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। गर्मियों में इसके पौधे की सप्ताह में दो बार सिंचाई की जा सकती है। जबकि सर्दियों में सप्ताह में एक बार पानी देने से काम चल जाता है। यदि पौधा पूर्ण रूप से विकसित हो जाये तो साल में 5 से 8 सिंचाई तक आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए टपक सिंचाई तकनीक काफी अच्छी मानी जाती है।
बादाम के फलों की तुड़ाई पतझड़ के मौसम में की जाती है। इसके पौधे पांच से सात साल के बाद पूरी तरह से फल देना शुरू कर देते हैं। इसमें फल व फूल लगने के आठ महीने के बाद पककर तैयार हो जाते हैं। बादाम की गुठलियां जब हरे से पीले रंग में परिवर्तित हो जाए तब इसकी तुड़ाई शुरू कर देनी चाहिए। क्योंकि अधिक समय तक तुड़ाई नहीं करने पर ये स्वत: अपने आप टूटकर गिरने लगते हैं। इसलिए समय पर तुड़ाई करके फलों को छायादार जगहों पर सूखा देना चाहिए। गुठलियों के सूख जाने के बाद इन्हें तोड़कर उनमें से बादाम गिरी को निकाल लेना चाहिए।
बादाम की सही तरीके से प्रोसेसिंग करके मार्केट में अच्छे भाव मिलते हैं। इसलिए इसकी सही तरीके से प्रोसेसिंग करके इसे पॉलीथीन में पैकिंग करके मार्केट में विक्रय करके अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। बता दें कि बाजार में बादाम के भाव (price of almonds) 600 रुपए से शुरू होकर इसकी क्वालिटी के हिसाब से 1000 रुपए प्रति किलोग्राम तक होते हैं।
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