Published - 02 May 2022 by Tractor Junction
अधिकांश राज्यों में रबी की फसल की सरकारी खरीद पूरी हो चुकी है और अब किसान खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई के लिए तैयार हैं। कई जगहों पर तो धान की बुवाई का काम भी शुरू हो गया है। जैसा कि आप जानते हैं कि हम हर माह किसान भाइयों को उस माह में किए जाने वाले कृषि कार्यों की जानकारी देते है ताकि आप समय कार्य संपादित कर बेहतर उत्पादन के साथ अच्छा लाभ कमा सके। आज हम जून माह में किए जाने वाले कृषि कार्यों की जानकारी दे रहे हैं और आशा करते है कि ये जानकारी आपके लिए बेहतर उत्पादन में मदगार साबित होगी।
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यदि मई के अंतिम सप्ताह में धान की नर्सरी नहीं डाली हो तो जून में इस कार्य को पूरा कर लें। इसके अलावा सुगंधित प्रजातियों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह में डालें। धान की मध्यम व देर से पकने वाली किस्मों में धान की स्वर्णा, पंत-10, सरजू-52, नरेन्द्र-359, जबकि टा.-3, पूसा बासमती-1, हरियाणा बासमती सुगंधित तथा पंत संकर धान-1 व नरेन्द्र संकर धान-2 प्रमुख संकर किस्में हैं। धान की महीन किस्मों की प्रति हेक्टेयर बीज दर 30 किग्रा, मध्यम के लिए 35 किग्रा, मोटे धान हेतु 40 किग्रा तथा ऊसर भूमि के लिए 60 किग्रा पर्याप्त होता है, जबकि संकर किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। यदि नर्सरी में खैरा रागे दिखाई दे तो 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में 20 ग्राम यूरिया, 5 ग्राम जिकं सल्फटे प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें।
मक्का की बोआई इसी माह पूरा कर लें। मक्का की बुवाई के लिए संकर मक्का की शक्तिमान-1, एच.क्यू.पी.एम.-1, संकुल मक्का की तरुण, नवीन, कंचन, श्वेता तथा जौनपुरी सफेद व मेरठ पीली देशी प्रजातियां हैं जो काफी प्रचलित हैं।
जहां सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता नहीं हो वहां वर्षा प्रारंभ होने पर ही अरहर की बुवाई करें। सिंचित दशा में अरहर की बोआई इससे पहले भी की जा सकती है। अरहर की बुवाई के लिए प्रभात व यू.पी.ए.एस.-120 शीघ्र पकने वाली तथा बहार, नरेन्द्र अरहर-1 व मालवीय अरहर-15 देर से पकने वाली अच्छी प्रजाति है। अरहर की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 12-15 किग्रा बीज पर्याप्त होता है। अरहर का राइजोबियम कल्चर से उपचारित बीज 60-75x15-20 सेंमी की दूरी पर बोना चाहिए।
जायद में बोई गई सूरजमुखी व उर्द की कटाई मड़ाई का कार्य तथा मूँग की फलियों की तुड़ाई का कार्य जून तक जरूर पूरा कर लेना चाहिए।
चारे के लिए किसान भाई इस माह ज्वार, लोबिया व बहुकटाई वाली चरी की बोआई कर सकते हैं। वर्षा न होने की दशा में पलेवा देकर बोआई की जा सकती है।
इस माह बैंगन, मिर्च और अगेती फूलगोभी की पौध लगाई जा सकती है। वहीं पहले से बोई बैंगन, टमाटर व मिर्च की फसलों की सिंचाई व आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई का काम करें। इसके अलावा यह समय भिंडी की फसल बुवाई के लिए उपयुक्त है। इसके लिए भिंडी की परभनी क्रांति, आजाद भिंडी, अर्का अनामिका, वर्षा, उपहार, वी.आरओ.- 5, वी.आर.ओ.-6 व आई.आई.वी.आर.-10 भिंडी की किस्मों का चयन किया जा सकता है। इसी तरह लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, आरा तोरी, करेला व टिंडा की बुवाई भी इस मौसम में की जा सकती है।
केला की रोपाई के लिए भी यह समय उत्तम है। समतल खेत में केले की रोपाई से पहले लाइन से 1.5 मीटर लंबे, 1.5 मीटर चौड़ा गहरा गड्ढा खोद कर छोड़ दें, जिससे धूप लग जाए। पौधरोपण पौधों की रोपई में तीन माह की तलवारनुमा पुतियां जिनमें घनकन्द पूर्ण विकसित हो, का प्रयोग किया जाता है, इन पुतियों की पत्तियां काटकर रोपाई करनी चाहिए। रोपाई के बाद पानी लगाना आवश्यक है। इसके लिए हल्की सिंचाई अवश्य करें।
रजनीगंधा, देशी गुलाब एवं गेंदा में खरपतवार निकालें व आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें। बेला तथा लिली में आवश्यकतानुसार सिंचाई, निराई व गुड़ाई करें। माह के अंत में मेंथा की फसल की दूसरी कटाई कर लें।
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