कृषि सलाह : धान की अधिक पैदावार लेने के लिए किसान भाई अभी करें ये काम

Share Product Published - 16 Sep 2021 by Tractor Junction

कृषि सलाह : धान की अधिक पैदावार लेने के लिए किसान भाई अभी करें ये काम

जानें, धान का उत्पादन बढ़ाने को लेकर कृषि विशेषज्ञों के सुझाव

इस समय देश में किसानों की ओर से खरीफ फसलों की खेती की जा रही है। इसमें धान, मक्का एवं सोयाबीन की खेती काफी क्षेत्र में की गई है। धान की खेती उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक सभी राज्यों में की जाती है। वहीं धान की बुवाई भी राज्यों की जलवायु और मौसम की स्थिति को देखकर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर की जाती है। इससे अभी धान की फसल हर राज्य में अलग-अलग अवस्था में है। इसे देखते हुए जिन राज्यों में धान की फसल में कन्से निकलना प्रारंभ हो गए हैं उन्हें अधिक पोषण तत्वों की आवश्यकता है। वहीं राज्यों में फसलों को कीट या रोगों का प्रकोप है।इसे देखते हुए कृषि विशेषज्ञों की ओर से किसानों को सलाह दी गई है ताकि किसान समय पर कुछ महत्वपूर्ण काम करके धान की फसल का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही कीटों और रोगों से भी फसल को सुरक्षित कर सकें। 


धान के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कब और कितना उर्वरक दें

छत्तीसगढ़ कृषि विभाग के द्वारा किसानों धान की फसल में उर्वरक कब एवं कितना देना है इसके लिए सलाह जारी की गई है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार राज्य के जिस क्षेत्र में धान की फसल में कन्से निकलने की अवस्था आ गई हो वहां किसान नत्रजन की दूसरी मात्रा का छिडक़ाव कर सकते हैं। इससे धान के कन्से की स्थिति में सुधार आएगा। पर ध्यान रहे फसल में कीट या खरपतवार होने की स्थिति में दोनों को नियंत्रित करने के बाद ही प्रति हेक्टेयर 40 किलो यूरिया के छिडक़ाव किया जाना चाहिए। कृषि विभाग के अधिकारियों ने धान फसल के प्रारंभिक गभोट अवस्था में मध्यम एवं देर अवधि वालेधान फसल के 60-75 दिन के होने पर नत्रजन की तीसरी मात्रा का छिडक़ाव करने की सलाह दी है। वहीं पोटाश की सिफारिश मात्रा का 25 प्रतिशत भाग फूल निकलने की अवस्था पर छिडक़ाव करने से धान के दानों की संख्या और वजन में वृद्धि होती है। 


धान में पीला तना छेदक का प्रकोप हो तो ये करें उपाय

  • अभी धान फसल पर पीला तना छेदक कीट के वयस्क दिखाई देने पर तना छेदक के अंडा समूह हो एकत्र कर नष्ट करने के साथ ही सूखी पत्तियों को खींचकर निकालने की सलाह दी गई है। 
  • तना छेदक की तितली एक मोथ प्रति वर्ग मीटर में होने पर फिपरोनिल 5 एससी एक लीटर प्रति दर से छिडक़ाव करने की सलाह किसानों को दी गई है। 
  • पत्ती मोडक (चितरी) रोग के नियंत्रण के लिए प्रति पौधा एक-दो पत्ती दिखाई देने पर फिपरोनिल 5 एससी 800 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करने को कहा गया है। 


धान की फसल में रोग प्रारंभिक अवस्था में हो तो करें इस दवा का छिडक़ाव

धान की फसल में रोग के प्रारंभिक अवस्था में निचली पत्ती पर हल्के बैगनी रंग के धब्बे पड़ते हैं जो धीरे-धीरे बढक़र चौड़े और किनारों में सकरे हो जाते हैं, इन धब्बों के बीच का रंग हल्का भूरा होता है। इसके नियंत्रण के लिए टेबूकोनाजोल 750 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करने की सलाह किसानों को दी गई है। 


धान फसल की पत्तियां ऊपर से सूख रही है तो ये करें उपाय

मध्यप्रदेश के सीधी जिले में कृषि विभाग के उप संचालक कृषि डा. राजेश सिंह चौहान ने मीडिया को बताया कि सीधी जिले में फील्ड विजिट के दौरान धान फसल में कीट एवं बीमारी देखी गई है, जिसका प्रकोप बढऩे की संभावना है। सिंह ने वर्तमान समय में धान की फसल में कीट एवं बीमारी के लक्षण एवं उपचार के संबंध में जो सलाह दी है वे इस प्रकार से हैं- यदि धान फसल की पत्तियां ऊपर से सूख रही है और पत्ती के दोनों किनारे सूखने जैसे लक्षण प्रदर्शित करते हुए पूरी पत्ती बाद में सफेद हो जाए तो यह झुलसा रोग के लक्षण होते है। इसके नियंत्रण हेतु खेत का पानी निकाल दें और कॉपर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम एवं स्ट्रेप्टो साइक्लीन 2.5 ग्राम प्रति 10 लीटर दर से छिडक़ाव करें।


केसवर्म (वंकी, बका) कीट से धान को बचाने के लिए करें दवा का छिडक़ाव

इस कीट का प्रकोप कंसे फूटने की अवस्था से लेकर पुष्पन अवस्था तक होती है। (प्राय: सितंबर से अक्टूबर माह के बीच तक) इसमें इल्लियां पत्ती के ऊपरी सिरे को काटकर तथा पत्तियों को मोड़ कर पोंगड़ी (नलीनुमा) बना लेती है और पोंगड़ी के अन्दर इल्लियां हरे पदार्थ को खुरच-खुरच कर खाती है, जिससे पत्तियों में सफेद धारी बन जाती है एवं धीरे-धीरे पत्तियों का हरापन सफेदी में बदल जाता है। इस कीट से फसल की सुरक्षा हेतु क्युनालफास 25 ई.सी. 2 मि.ली. या क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. 2.5 मि.ली. प्रतिलीटर पानी (40 एमएल प्रति स्प्रेपर) की दर छिडक़ाव करें। एक एकड़ हेतु 200 लीटर (13 स्प्रेयर) पानी का उपयोग करने पर कीट को समाप्त कर फसल बचाया जा सकता है।


कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री सिंह ने जिले के सभी किसानों से अपील की है कि किसान अपने खेतों का सतत् निरीक्षण करते हुए उपर बताए गए  लक्षणों के आधार पर अनुसंशित दवाओं का निर्धारित मात्रा में उपयोग करते हुए फसल का उपचार करें, जिससे फसल को संभावित नुकसान से बचाया जा सके। 

 

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