प्रकाशित - 08 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में मक्का का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। इस फसल की खासियत ये होती है कि इसे मात्र 3 महीने में तैयार कर लिया जाता है। मक्का का उत्पादन भी अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा होता है। यही वजह है कि किसान इस फसल का उत्पादन पसंद करते हैं। पॉपकॉर्न बनाने में, चॉकलेट बनाने में, पैकेज्ड उत्पाद बनाने में और जानवरों के चारा के रूप में मक्का के काफी उपयोग हैं। लेकिन ज्यादातर किसान सही मौसम और मिट्टी की जरूरतों के हिसाब से उन्नत बीज का चुनाव नहीं कर पाते। किसान भाइयों बीज किसी भी खेती का आधार होता है। अगर बीज सही न हो, तो हम अच्छी फसल होने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। कृषि अनुसंधान संस्थान केंद्र एवं राज्य स्तर पर किसानों के लिए अच्छे और उन्नत बीजों की खोज में लगी रहती है और समय समय पर उन्नत बीजों को किसानों के समक्ष पेश करती रहती है। ताकि किसान का उत्पादन बढ़ सके और किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकें। अच्छा और उन्नत बीज होने से किसी भी फसल की उत्पादकता कई गुना बढ़ जाती है।
ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम मक्का के टॉप 3 किस्मों (Top 3 Varieties of Maize) के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो कई मामलों में खास हैं। किसानों को काफी अच्छी पैदावार दे सकते हैं।
ये थोड़ी देर से पकने वाली किस्म है, जिसमें 95 से 120 दिनों तक का समय लग सकता है। हाइब्रिड मक्का की ये उन्नत किस्म कई रोगों के प्रति सहनशील है। इस किस्म की खासियत ये है कि ये अच्छी पैदावार तो देती ही है। साथ ही संक्रमण रोधी होने की वजह से इस किस्म से मक्का की खेती (Maize Cultivation) करने पर किसानों को लागत भी कम पड़ती है। हाइब्रिड मक्का का ये वेरिएंट उत्तरप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि क्षेत्रों में प्रसिद्ध है। किसान इस किस्म से 70 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन किया जा सकता है।
वर्ष 2020 में इस किस्म को लांच किया गया था। ये किस्म मक्का के उत्पादन बढ़ाने और किसानों के लागत घटाने के लिए बाजार में मौजूद सर्वश्रेष्ठ किस्मों में से एक है। मक्का की ये किस्म संक्रमण रोधी होने के कारण इसमें सामान्य किस्मों की अपेक्षा कम रोग लगते हैं, जिससे किसानों को कीटनाशक और अन्य दवाइयों पर ज्यादा खर्च नहीं आता। पूसा एच क्यू पी एम 5 इम्प्रूव्ड किस्म 88 से 111 दिनों के बीच तैयार होती है। औसतन 104.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज की वजह से देश के कई क्षेत्रों में इस किस्म से मक्का की पैदावार बड़े स्तर पर की जाती है। हालांकि अलग-अलग क्षेत्रों में इस किस्म की पैदावार भी अलग अलग है। पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों में इस किस्म की अच्छी खेती की जाती है। किसान बताए गए इस किस्म का चुनाव करने से पहले अपने नजदीकी कृषि सलाहकार से जरूर संपर्क करें और मिट्टी की जांच भी जरूर करवाएं। आसपास के वातावरण और सही मिट्टी गुणवत्ता और क्षेत्र के अनुसार इस बीज से मक्का की खेती का निर्णय लिया जा सकता है।
ये थोड़ी जल्दी पकने वाली किस्म है। मात्र 84 दिन के अंदर इस किस्म से मक्का की फसल तैयार हो जाती है। वर्ष 2020 में लांच की गई ये किस्म भी मक्का की लेटेस्ट किस्मों से एक है। प्रोटीन की उच्च मात्रा की वजह से जानवरों के चारे के लिए और प्रोटिनेक्स जैसे उत्पाद बनाने के लिए भी बड़े स्तर पर इस किस्म को उपयोग में लाया जाता है। पूसा विवेक हाइब्रिड 27 इंप्रूव्ड किस्म किसानों को कम लागत में अधिक पैदावार देने के लिए जानी जाती है। बिहार, झारखंड, ओडिशा, वेस्ट बंगाल, यूपी आदि राज्यों में पूसा विवेक के इस हाइब्रिड मक्का के किस्म की खेती बड़े पैमाने पर होती है। औसत उपज की बात करें तो 48.5 क्विंटल प्रति की उपज इस किस्म से किसान प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि ये उपज मिट्टी की उत्पादकता, कृषि - कौशल पर भी निर्भर करेगी।
मक्का की खेती से कमाई की बात करें तो यदि औसतन 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर भी उत्पादन हो और 20 से 22 रुपए प्रति किलो की सामान्य कीमत पर भी बेचें तो तो इसे बेचने पर किसानों को 1,10,000 रुपए प्राप्त होंगे। लागत का अगर 50,000 रुपए तक कम भी कर दें तो करीब 60 हजार रुपए का शुद्ध मुनाफा किसानों को मक्का की खेती से हो सकता है। ये मुनाफा तीन महीने में होता है, इसलिए अगर सालाना देखा जाए तो मक्का की खेती से प्रति हेक्टेयर 2,40,000 रुपए की कमाई किसान कर सकते हैं।
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