प्रकाशित - 05 Dec 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
गांव में रहकर शुरू करें ये 5 बिजनेस, होगी लाखों रुपए की कमाई, जी, हां, आपने सही पढ़ा है। यदि आप गांव में रहते हैं तो आपके लिए कुछ ऐसे बिजनेस हैं जिन्हें आप गांव में रहकर शुरू करके उससे अच्छी खासी कमाई कर सकते हैँ। ये बिजनेस उन बेरोजगार युवकों के लिए है भी फायदेमंद हैं जो पढ़ाई पूरी कर चुके हैं और किसी ऐसे बिजनेस की तलाश में हैं जो आसानी से गांव में रहकर किया जा सकता है। तो आज हम हमारे ऐसे ही युवा ग्रामीणों के लिए पांच ऐसे बिजनेस की जानकारी लेकर आए हैं जिन्हें आप गांव में रहकर थोड़ी सी पूंजी से शुरू करके अच्छा-खास पैसा कमा सकते हैं। इतना ही नहीं इसे बड़े स्केल पर शुरू करके लाखों रुपए की आमदनी भी कर सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से हमारे युवा ग्रामीण किसानों के लिए चुनिंदा पांच ऐसे बिजनेस की जानकारी लेकर आएं हैं जिससे आपको अच्छी इनकम हो सकती है तो जानते हैं ये बिजनेस कौनसे हैं और इससे कैसे लाभ कमाया जा सकता है।
देश में दूध का उत्पादन उतना नहीं है जितनी ज्यादा इसकी मांग है। इसे देखते हुए ग्रामीण युवा डेयरी व्यवसाय खोलकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं। डेयरी खोलने के लिए सरकार से सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। डेयरी खोलकर आप दूध से दही, मक्खन, घी, छाछ, पनीर आदि उत्पाद बनाकर उसे बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं। यदि आप डेयरी फार्मिंग के लिए बैंक से लोन लेते हैं तो उस पर सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसके तहत आपको डेयरी बिजनेस शुरू करने के लिए सरकार डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है। इसके तहत सामान्य किसानों को 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। वहीं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला किसानों को 33 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। यदि आप 10 पशुओं की डेयरी खोलते है तो आपको 10 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है।
नाबार्ड और राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान के सहयोग से कृषि मंत्रालय भारत सरकार की ओर से कृषि स्नात्तकों के लिए एक अनूठी योजना शुरू की गई है। इसके लिए सरकार की ओर से सहयोग भी दिया जाता है। कृषि क्लीनिक खोलकर युवा काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। कृषि क्लीनिकों और कृषि व्यवसाय केन्द्रों की योजना अप्रैल 2002 में प्रारंभ की गई थी जिसका उद्देश्य ग्रामीण कृषि स्नातकों को रोजगार देकर आर्थिक रुप मजबूत बनाना है। सरकार का उद्देश्य कृषि क्लीनिकों के माध्यम से प्रोद्योगिकी, फसल प्रथाएं, कीटों और रोगों से सुरक्षा, बाजार रुझान, बाजारों में विभिन्न फसलों के मूल्य और पशु स्वास्थ्य के लिए क्लीनिक सेवाएं इत्यादि के बारें में किसानों को विशेषज्ञ की राय और सेवाएं प्रदान करना है। इससे फसलों/ पशुओं की उत्पादकता और किसानों की आय में वृद्धि होगी। इन कृषि व्यवसाय केंद्रों के माध्यम से कृषि उपकरण किराये पर देना यानि कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना भी शामिल की गई है। इस योजना के तहत प्रत्येक यूनिट को दो प्रकार से सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी बैंक ऋण के माध्यम परियोजना की पूंजी लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में दिया जाता है। वहीं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और महिला किसानों को 33 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी नाबार्ड योजना के तहत दी जाती है।
वर्तमान में सरकार जैविक खेती करने पर जोर दे रही है। रायासनिक खाद के निरतंर प्रयोग से भूमि को नुकसान और स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में सरकार चाहती है कि जैविक खेती को अपनाया जाए। ग्रामीण पढ़े-लिखे युवा जैविक खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाकर इससे काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। वर्तमान में बाजार में जैविक उत्पादों की ऊंची कीमत मिलती है। जैविक तरीके से फसल उत्पादन में खर्च भी कम आता है क्योंकि इसमें महंगे रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होता है बल्कि जैविक खाद जिसमें गोबर, केचुआं खाद, गौसूत्र आदि प्राकृतिक खादों का उपयोग किया जाता है। जैविक खेती के लिए सरकार काफी सहायता प्रदान कर रही है। इसके लिए सरकार 75 से लेकर 90 प्रतिशत तक सब्सडी का लाभ प्रदान करती है। जैविक खेती करने वाले किसानों को राज्य सरकार की ओर से 9 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर की दर से सहायता दी जा रही है। इस राशि में जैविक बीज के लिए 1500 रुपए, जैविक खाद के लिए एक हजार रुपए और हरी खाद के लिए 1000 रुपए शामिल हैं। बता दें कि अभी राजस्थान में जैविक खेती के 5 हजार कलस्टर चल रहे हैं।
मुर्गी पालन एक ऐसा बिजनेस हैं जो अधिक कमाई वाला माना जाता है। सर्दियों अंडे और चिकिन की मांग अधिक बढ़ जाती है जिससे इस बिजनेस से काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। हालांकि मुर्गी के अंडे और चिकिन की मांग पूरे साल रहती है, लेकिन सर्दियों में इसकी मांग दुगुनी हो जाती है। इसलिए इस मौसम में इससे काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। मुर्गी पालन शुरू करने के लिए भी सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। मुर्गी पालन के लिए आप कोई भी सरकारी बैंक से लोन ले सकते है। पोल्ट्री फार्मिंग पर अधिकांश राज्य सरकार 25 से 30 फीसदी अनुदान देती है। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया 5 हजार मुर्गी के फार्म के लिए 3 लाख रुपए का लोन देती है। बैंक लोन के भुगतान के लिए आपको 5 वर्ष की समय देती है।
गांव में कोल्ड स्टोरेज का अभाव होने से फल-सब्जियां जल्दी खराब हो जाती है। इससे किसानों को नुकसान होता है। यदि आप गांव में कोल्ड स्टोरेज खोलकर किसानों को इसकी सुविधा प्रदान करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं। आप उनकी सब्जियां और फल कोल्ड स्टोरेज में रखकर इसकी एवज में हर दिन के हिसाब से किराया लेकर अच्छा पैसा कमा सकते हैँ। इससे आपको और किसानों दोनों को लाभ होगा। उनकी फल-सब्जियां अधिक दिनों तक ताजा रहेगी जिससे उन्हें बाजार में बेहतर दाम मिल सकेगा। वहीं आपको किराया के रूप में पैसा मिलेगा। यह दोनों के लाभ का सौंदा है। खास बात ये हैं की कोल्ड स्टोरेज की स्थापना के लिए सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी दी जाती है। इसके तहत किसानों को एकीकृत विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत कोल्ड स्टोरेज की स्थापना के सरकारी की ओर से क्रेडिट लिंक्ड बैक एंडेड सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होती है। सामान्य या मैदानी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35 फीसदी की दर से सब्सिडी दी जाती है। वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 50 फीसदी की दर से सब्सिडी का लाभ किसानों को दिया जाता है। पूर्वोत्तर इलाकों में एक हजार मीट्रिक टन से ज्यादा क्षमता वाली इकाइयों को भी इसका फायदा मिलता है।
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