प्रकाशित - 28 Oct 2022
ग्रामीण इलाकों में बकरी पालन प्रचलित बिजनेस में से एक है। जो लोग गाय-भैंस नहीं पाल सकते हैं, वे बकरी पालन करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं। बकरी को गरीब की गाय भी कहा जाता है। बकरी पालन से दो तरह से कमाई की जा सकती है। एक तो उसका दूध बेचकर और दूसरा उसका मांस और खाल बेचकर। इस तरह बकरी पालन से छोटे किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। वे खेती के साथ ही बकरी पालन का बिजनेस करके भी अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैें। इसके लिए सरकार से सब्सिडी का लाभ भी प्रदान किया जाता है। इस बिजनेस के लिए कई बैंक लोन भी देते हैं। इस लोन की सहायता से आप अपने बकरी पालन बिजनेस का बढ़ा सकते हैं और इससे अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। अब प्रश्न उठाता है कि बकरी पालन से अच्छा लाभ कमाने के लिए बकरी की कौनसी प्रजाति का पालन किया जाए ताकि दूध के साथ ही उसके मांस से भी अच्छी कमाई हो। आज हम अपनी ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको बताएंगे कि आप बकरी की कौनसी नस्ल का पालन करें ताकि आपको बेहतर लाभ प्राप्त हो सकें।
बकरी पालन के लिए बकरी की जमुनापुरी, ब्लैक बेंगाल, बारबरी, बीटल, सिरोही, मारवाड़ी, चंगथगी, चेगु, गंजम, उस्मानाबादी नस्लें अच्छी मानी जाती है। इसकी प्रमुख खासियत और लाभ इस प्रकार से हैं।
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बकरी की यह नस्ल उत्तर प्रदेश के इटावा जिला और पहाड़ी क्षेत्रों जमुना, गंगा और चंबल क्षेत्रों में पाई जाती है। इस बकरी का शरीर बडे़ आकार का होता है और इसके शरीर पर लंबे बाल होते हैं। सामान्यत: इस बकरी का रंग सफेद और चहरे पर हल्के पीले रंग का होता है जो हल्के गहरे भूरे रंग के धब्बे के साथ गर्दन और चहरे पर होते हैं। इसके अलावा इस प्रजाति की कुछ बकरियों के शरीर पर गहरे या काले रंंग के धब्बे भी पाए जाते हैं। इसके कान लंबे और मुडे हुए सपाट और लटकते हुए हाेते हैं। इसकी नाक उभरी हुई होती है। इसके पैर बड़े और लंबे होते हैं। इसके वयस्क बकरे के शरीर का औसत वजन 65 से 85 किलोग्राम होता है, जबकि बकरी का वजन 45 से 61 किलोग्राम तक होता है। इसके नर बकरे के दाढ़ी होती है। आमतौर पर इस प्रजाति की बकरी एक बार ब्याती है और 57 प्रतिशत एकल बच्चे को जन्म देती है। जबकि 43 प्रतिशत मामलों में इस प्रजाति की बकरी जुड़वा बच्चों को जन्म देती है। इस बकरी की दूध उत्पादन की क्षमता औसतन 1.5 से 2.0 किलोग्राम प्रतिदिन होती है। इसका औसत दूध उत्पादन प्रति ब्यात 200 कि.ग्रा होता है।
इस प्रजाति की बकरी की नस्ल बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में पाई जाती है। यह मुख्यत: काले रंग की होती है। इसके अलावा यह भूरे, सफेद और सलेटी रंग में भी पाई जाती है। लेकिन अधिकांशत: ये काले रंग में होती है। इस नस्ल की त्वचा मीट (मांस) उत्पादन के लिए अच्छी मानी जाती है। इस नस्ल की बकरी की दूध उत्पादन की क्षमता थोड़ी कम होती है। इस प्रजाति के नर बकरे का भार 25-30 किलो और मादा बकरी का भार 20-25 किलो होता है। यह नस्ल वयस्क अवस्था पर जल्दी पहुंच जाती है और प्रत्येक ब्यांत में 2-3 बच्चों को जन्म देती है।
इस नस्ल की बकरी मुख्यत: पंजाब, राजस्थान, आगरा और यूपी के जिलों में पाई जाती है। इस प्रजाति की बकरी का कद मध्यम होता है। इसका शरीर सघन होता है। इसके कान छोटे और चपटे होते हैं। इस प्रजाति के नर बकरे का भार 38-40 किलो और मादा बकरी का भार 23-25 किलो होता है। नर बकरे की लंबाई करीब 65 सेमी. और मादा बकरी की लंबाई करीब 75 सेमी. होती है। ये बकरी कई रंगों में हाेती है। आमतौर पर इस नस्ल की बकरी के शरीर पर सफेद रंग के साथ छोटे हल्के भूरे रंग के धब्बे पाए जाते हैं। नर बकरे और मादा बारबरी बकरी दोनों की ही बड़ी मोटी दाढ़ी होती है। इस प्रजाति की बकरी प्रतिदिन1.5-2.0 किलो और प्रति ब्यांत में 140 किलो दूध की देती है।
बकरी की बीटल नस्ल अधिकांशत: पंजाब और हरियाणा राज्य में पाई जाती है। बीटल बकरी मुख्य रूप से मांस और डेयरी के लिए पाली जाती है। इस नस्ल की बकरी की टांगे लंबी हाेती हैं। इसके कान लटकते हुए होते हैं। इसकी पूंछ छोटी पतली होती है। इसके सींग मुड़े हुए होते हैं। इसके नर बकरे का वजन 50-60 किलोग्राम होता है। वहीं मादा बकरी का वजन 35-40 किलो होता है। नर बकरे के शरीर की लंबाई करीब 86 सेमी. और मादा बकरी के शरीर की लंबाई करीब 71 सेमी. होती है। इस नस्ल की मादा बकरी औसतन 2.0-2.25 किलो दूध प्रतिदिन देती है और प्रति ब्यांत में 150-190 किलो तक दूध देती है।
इस नस्ल की बकरी प्राय: गुजरात के पालमपुर और राजस्थान के सिरोही जिले में पाई जाती है। इसका आकार छोटा होता है। इस नस्ल की बकरी का शरीर भूरे रंग का होता है और इसके शरीर पर हल्के भूरे रंग के धब्बे होते हैं। इसके कान चपटे और लटकते हुए होते हैं। इसके सींग छोटे और मुड़े हुए हाेते हैं। इसके बाल मोटे होते हैं। इसके वयस्क नर बकरे का वजन 50 किलो और वयस्क बकरी का वजन 40 किलो होता है। इसके नर बकरे की लंबाई करीब 80 सेमी और मादा बकरी की लंबाई करीब 62 सेमी होती है। इस प्रजाति की बकरी प्रतिदिन औसतन 0.5 किलो दूध देती है और प्रति ब्यांत में औसतन 65 किलो देती है। अधिकांशत: से बकरी दो बच्चों को जन्म देती है।
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इस नस्ल की बकरी गुजराज और राजस्थान के प्रदेशों में पाई जाती है। यह मध्यम आकार की होती है। इसका शरीर लंबे बालों से ढका हुआ होता है। इसका रंग काला होता है। इसके कान चपटे होते है और सींग छोटे नुकीले और पीछे की ओर मुड़े हुए हाेते हैं। इसके नर बकरे का वजन 33 किलोग्राम और मादा बकरी का वजन 25 किलोग्राम होता है। ये नस्ल मुख्य रूप से मांस के लिए पाली जाती है।
बकरी की यह नस्ल लद्दाख के चंगथगी क्षेत्र लाहौल व स्पीती में पाई जाती है। इसका रंग सफेद, काला और भूरा होता है। इसके कान लंबे और लटके हुए हाेते हैें। इसके सींग अर्द्धवर्ताकार लंबे और बाहर की ओर निकले हुए होते हैं। इसका चेहरा बालों से ढका हुआ रहता है। इसके नर बकरे का वजन 20 किलोग्राम और मादा बकरी का वजन 19.8 किलोग्राम होता है। इस नस्ल की बकरी ऊन और मांस के लिए पाली जाती है। इस बकरी का पालन मुख्य रूप से पचमीना उत्पादन के लिए किया जाता है। इस प्रजाति की एक बकरी से करीब 215 ग्राम पचमीना का उत्पादन होता है। इस बकरी काे पचमीना बकरी के नाम से भी जाना जाता है।
बकरी की ये नस्ल उत्तराखंड के पर्वतीय जिले उत्तराकांशी, चमोली, पिथौरागढ़ जिले में पाई जाती है। इस नस्ल की बकरी का आकार मध्यम हाेता है। इसका रंग सफेदी लिए भूरा होता है। इसके सींग ऊपर की ओर उठे और मुड़ावदार होते हैं। इस नस्ल के नर बकरे का वजन 36 किलोग्राम और मादा बकरी का वजन 25 किलोग्राम होता है। ये बकरी ऊन और मांस के लिए पाली जाती है। इस बकरी से पश्मीना का उत्पादन प्रति बकरी 120 ग्राम प्राप्त होता है।
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इस प्रजाति की बकरी ओडिशा राज्य के गंजाम व कोरापुट जिले में पाई जाती है। इस नस्ल की बकरी का कद ऊंचा होता है। इसका रंग काला, भूरा और धब्बेदार होता है। इसके कान मध्यम आकार के हाेते हैं। इसके सींग लंबे और ऊपर की ओर उठे हुए होते हैं। इसके नर बकरे का वजन 44 किलोग्राम और मादा बकरी का वजन 31.5 किलोग्राम होता है। ये मुख्य रूप से मांस के लिए पाली जाती है।
इस प्रजाति की नस्ल महाराष्ट्र के उस्मानाबाद प्रांत में पाई जाती है। इसका शरीर मध्यम आकार का होता है। इसका रंग काला होता है। इसके नर बकरे का वजन 40 किलोग्राम और मादा बकरी का वजन 35 किलोग्राम होता है। इस बकरी को मुख्य रूप से मांस के लिए पाला जाता है।
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