प्रकाशित - 18 Feb 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों को इस बार खेती से काफी लाभ होता नजर आ रहा है। सरकार की ओर से जारी किए गए अनुमान के मुताबिक इस वर्ष 32.36 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है। इसमें गेहूं, चना के साथ ही दलहन के बेहतर उत्पादन की उम्मीद जताई गई है। दलहन फसलों में सभी प्रकार की दालें शामिल की जाती है। अभी कुछ समय पहले गेहूं के भावों में तेजी का दौर आया था और अभी भी मार्केट में गेहूं के भाव एमएसपी से ऊंचे बने हुए हैं। इसके बाद अब दलहन फसलों में अरहर की दाल के भावों में तेजी दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि इसके भावों में करीब 200 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आई है। वहीं मूंग की दाल और मूंग मोगर के भावों में भी 50-50 रुपए की तेजी दर्ज की गई है। बाजार जानकारों के अनुसार इस बार अनाज के साथ ही दलहन फसलों के भाव भी मार्केट में एमएसपी से ऊंचे रहेंगे। ऐसे में इस बार गेहूं, चना के साथ ही दालों के भाव और ऊंचे जा सकते हैं। नई फसल भी आने वाली है, लेकिन ऐसा नहीं दिखता की नई फसल आने पर भाव नीचे होंगे। हालांकि कुछ मामूली उतार-चढ़ाव की स्थित जरूर हो सकती है लेकिन भाव एमएसपी से ऊंचे ही बने रहेंगे जिससे किसान खुले बाजार में अपनी फसल का बेहतर भाव प्राप्त कर सकेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंदौर की स्थानीय संयोगिता गंज अनाज मंडी में तुअर (अरहर) की दाल में 200 रुपए तेज रही। वहीं मूंग की दाल 50 रुपए और इसी के साथ मूंग मोगर का भाव भी 50 रुपए तेज रहा। विभिन्न दालों के बाजार में भाव इस प्रकार से रहे-
यहां बता दें कि मंडी के भावों में प्रतिदिन उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है। हर रोज का भाव अलग-अलग होता है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि दलहन की खरीद- फरोख्त करते समय एक बार अपनी स्थानीय मंडी में भावों की जानकारी अवश्य कर लें।
बाजार जानकारों की मानें तो आगे बाजार का रूख किसानों के लिए काफी अच्छा है। अनाज के साथ ही दलहन और तिलहन की फसल से किसानों को लाभ होगा। यदि किसान फसलों का बेहतर भाव चाहते हैं तो उन्हें नई फसल आने पर उसे जल्दबाजी में नहीं बेचना चाहिए। किसानों को बाजार का रूख देखकर ही फसल की खरीद-फरोख्त का निर्णय लेना चाहिए। यदि मार्केट में भाव डाउन चल रहा है तो कुछ समय के लिए फसल को रोक रखा जा सकता है और जैसे ही बाजार में भाव बढ़े तो उसे बेचकर लाभ कमाया जा सकता है। इसके विपरित यदि भाव लगातार नीचे बने रहे और उससे भी नीचे जाने का अंदेशा हो तो फसल को तुरंत बेच देना चाहिए। हालांकि इस बार दलहन और तिलहन सहित अन्य अनाज फसलों से किसानों को फायदा ही होगा। अनुमान है कि इस बार बाजार में रबी की फसलों के भाव एमएसपी से ऊपर ही बने रहेंगे।
प्रत्येक फसल विक्रय सीजन के लिए केंद्र सरकार की ओर से रबी और खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किया जाता है और उसी मूल्य पर सभी राज्य में किसानों फसलों की खरीद करते हैं। वित्तीय रबी विपणन सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों का एमएसपी इस प्रकार से है-
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