प्रकाशित - 02 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
बकरी पालन बिजनेस (goat farming business) काफी तेज गति से बढ़ रहा है। पहले बकरी पालन ग्रामीण इलाकों तक ही सीमित था, लेकिन अब ये शहरी इलाकों में भी फैल गया है। इसकी खास वजह यह है कि इससे कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। बकरी पालन में बहुत ही कम खर्च आता है, इससे इस बिजनेस की लागत काफी कम हो जाती है। वहीं मुनाफे की बात की जाए तो बकरी पालन (goat farming) से काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इससे दो तरह से पैसा प्राप्त किया जा सकता है। एक तो इसका दूध (Milk) बेचकर, दूसरा इसका मांस (Meat) बेचकर। बकरी का दूध काफी महंगा बिकता है और इसकी बाजार में डिमांड भी अच्छी है। बकरी पालन (goat farming) को यदि बिजनेस (business) के रूप में किया जाए तो इससे काफी मोटा पैसा कमाया जा सकता है। इसके लिए आपको कुछ बातों पर ध्यान देना होगा तभी आप इससे बेहतर मुनाफा कमा पाएंगे।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको बकरी पालन बिजनेस में ध्यान रखने वाली बातों की जानकारी दे रहे हैं ताकि आप इस बिजनेस को शुरू करके मोटा मुनाफा कमा सकें।
सबसे पहले बात आती है कि हम बकरी पालन बिजनेस कैसे शुरू करें। तो हम आपको बताते हैं कि यदि आप इसे शुरू करना चाहते हैं तो आपको इसे सबसे पहले छोटे स्तर से इसकी शुरुआत करनी चाहिए। इसके लिए आप 10 बकरी और एक बकरे से इसकी शुरुआत कर सकते हैं। इसके बाद बकरियों की संख्या बढ़ाकर 20 तक कर सकते हैं। इस तरह 20 बकरी पर एक बकरा और 40 बकरी पर 2 बकरा के हिसाब से आप इस बिजनेस को शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आप सरकार से सहायता भी ले सकते हैं। राजस्थान और बिहार में बकरी पालन योजना के तहत आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है। इतना ही नहीं आप अपने बिजनेस के लिए बैंक से भी लोन लिया जा सकता है।
बकरी पालन बिजनेस शुरू करने से पहले आपको सबसे पहले ये विचार करना होगा कि आप बकरी पालन बिजनेस दूध के लिए कर रहे हैं या फिर मांस के लिए। इसके बाद ही आपको बकरी की नस्ल का चयन करना चाहिए कि आपको कौनसी नस्ल की बकरी पालनी चाहिए। यदि आप दूध के लिए बकरी पालन कर रहे हैं तो आपको बकरी की अल्पाइन, सोनेन, नूबियन, लामंचा, टोगेनबर्ग और ओबरहास्ली दूध देने वाली बकरियों का चयन करना चाहिए। वहीं मांस के लिए आप बकरी पालन कर रहे हैं तो उसके लिए बोर, बीटल, फैंटिंग, कीको, सोमाली और नेपोलेटाना मांस वाली बकरियों की सबसे अच्छी नस्लें मानी जाती हैं। इसके अलावा आप अपने राज्य की स्थानीय नस्ल का चयन भी कर सकते हैं।
50 बकरियां और 2 बकरे को मिलाकर एक यूनिट माना जाता है। यदि आप एक यूनिट बकरी पालन के लिए बकरी फार्म खोलते हैं तो इसमें एक वर्ष में करीब 8 लाख रुपए तक का खर्च आ सकता है। हालांकि बकरियों को चराई के लिए जंगल में ले जाने पर इसके खर्च में कमी भी की जा सकती है। बता दें कि बकरी के आहार में ज्यादा खर्च नहीं आता है। बकरी छोटे मोटे पौधों की पत्तियां खाकर भी अपना गुजारा कर लेती है। लेकिन यदि बिजनेस के तौर पर आप इसे करना चाहते हैं तो आपको इसके 1 यूनिट के रखरखाव, देखभाल व भोजन आदि के लिए करीब 8 लाख रुपए सालाना खर्च करना पड़ सकता है।
बकरी पालन बिजनेस के लिए सरकार से सब्सिडी दी जाती है। यदि बात करें बिहार सरकार की तो बिहार सरकार बकरी पालन के लिए सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है। बिहार में बकरी फार्म खोलने के लिए सरकार की ओर से 20 बकरी+2 की अनुमानित लागत 2.05 लाख रुपए तय की गई है जिस पर सरकार की ओर से अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लोगों को 60 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। वहीं सामान्य वर्ग के लोगों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। ऐसे में लाभार्थी को सिर्फ 40 से 50 प्रतिशत ही पैसा अपनी जेब से लगाना होता है।
बकरी पालन बिजनेस के लिए यदि आप बैंक से लोन लेते हैं तो केंद्र सरकार की योजना के तहत आपको अधिकतम 4 लाख रुपए का लोन मिल सकता है। वहीं यदि आप आईडीबीआई बैंक से लोन लेते हैं तो आपको 50,000 रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक लोन इस कार्य के लिए मिल सकता हे। लेकिन इसके लिए आपको बैंको को प्रोजेक्ट बनाकर देना होता है। प्रोजेक्ट पास होने के बाद आपका लोन स्वीकृत कर दिया जाता है और बकरी पालन के लिए लोन की राशि आपके खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है।
बकरी पालन के लिए भारत में कई बैंक लोन देते हैं जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई, केनरा बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, व्यावसायिक बैंक, कृषि सहयोग और ग्रामीण विकास के लिए राज्य बैंक, शहरी बैंक आदि बैंक लोन देते हैं।
बकरी का आवास या बकरी का बाड़ा पूर्व पश्चिम दिशा में ज्यादा फैला हुआ अच्छा माना जाता है लेकिन आप अपनी सुविधानुसार इसे खुला-खुला बना सकते हैं। आमतौर पर बाड़े की लंबाई की दीवार की ऊंचाई एक मीटर और उसके ऊपर 40X60 वर्ग फीट की जाली होनी चाहिए। बाड़े का फर्श कच्चा और रेतीला होना चाहिए ताकि बकरी आसानी से घूम फिर सके। बकरियों को रोगमुक्त रखने के लिए समय-समय पर बाड़े में चूने का छिड़काव करते रहना चाहिए। वहीं जन्म के एक सप्ताह बाद बकरी और मेमने को अलग-अलग करके रखना चाहिए।
बकरी पालन बिजनेस के ग्रोथ के लिए बकरी के दूध देने की मात्रा और उसका वजन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए आवश्यक है कि बकरी के खाने का ध्यान रखा जाए। बकरी को क्या खिलाया जाए ताकि उसके दूध की मात्रा और उसका वजन दोनों बेहतर हो सके तो इसके लिए हम आपको बता रहे हैं कि बकरी प्रतिदिन किस वजन के अनुसार क्या खिलाना चाहिए।
ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों जॉन डियर ट्रैक्टर, करतार ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।