Published - 28 Sep 2020 by Tractor Junction
कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन की बजह से काफी समय से बंद पड़े चाय के बागानों से चाय उद्योग मंदा पड़ गया है। इसे दोबारा से गति देने के लिए असम सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। इसके तहत असम का चाय उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 200 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गई है। इस पैकेज में अंतर्गत कृषि आय कर में तीन साल की छूट दी जाएगी तथा 7 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाएगी।
जानकारी के अनुसार असम सरकार ने राज्य के चाय उद्योग के लिए 200 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की, जिसमें इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कृषि आय कर में तीन साल की छूट भी शामिल है। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य में चाय उद्योग पिछले कुछ वर्षों से मुश्किल दौर से गुजर रहा है और लॉकडाउन के कारण चाय बागान भी बंद रहे। उन्होंने कहा कि राज्य में चाय उद्योग को संकट से बाहर निकालने की जरूरत है और हम चार प्रोत्साहन दे रहे हैं जो यह सुनिश्चित करेंगे कि वे आर्थिक रूप से व्यवहारिक बने रहें।
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सरमा ने कहा कि आर्थोडॉक्स चाय का ज्यादातर निर्यात किया जाता है और सरकार ने फैसला किया है कि इसका उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इस पर सात रुपए प्रति किलो की सब्सिडी देने का फैसला किया है और टी बोर्ड की तीन रुपए प्रति किलोग्राम की सब्सिडी को मिलाकर 10 रुपए प्रति किलोग्राम की कुल सब्सिडी निश्चित रूप से आर्थोडॉक्स चाय के उत्पादन और निर्यात को बढ़ाने में मददगार साबित होगी। उन्होंने कहा कि आर्थोडॉक्स चाय के उत्पादन के लिए आवश्यक संयंत्र और मशीनरी स्थापित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 25 प्रतिशत की पूंजी सब्सिडी भी दी जाएगी। इस प्रकार सरकार चाय उद्योग की सहायता के लिए 200 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
सरमा ने कहा कि हम इस उम्मीद के साथ यह घोषणा कर रह हैं कि चाय बागान प्रशासन बिना किसी अनाश्यक विवाद के अपने श्रमिकों को दुर्गापूजा पर बोनस का भुगतान सुनिश्चित करेगा। राज्य सरकार के स्वामित्व वाले असम टी कार्पोरेशन ने पहले ही अपने कर्मचारियों के लिए 20 प्रतिशत बोनस की घोषणा कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि दूसरे चाय बागान भी ऐसी घोषणा करेंगे।
असम भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है। मॉल्टी असमिया चाय अधिकतर ब्रह्मपुत्र घाटी में उगाई जाती है। घाटी के मध्य भाग में स्थित जोरहाट को अक्सर ’विश्व की चाय की राजधानी’ कहा जाता है। यहां चाय का सबसे अधिक उत्पादन होता है। इसके बाद पश्चिम बंगाल में स्थित दार्जिलिंग में हर तरफ चाय की खेती होती है। यहां पर उत्पादित चाय की खासियत यह है कि यह हल्के रंग की होती है और इससे फूलों की महक आती है. भारत के कुल चाय का लगभग 25 प्रतिशत उत्पादन दार्जिलिंग में होता है। इधर तमिलनाडु में स्थित कोलुक्कुमालै चाय एस्टेट शायद दुनिया का सबसे ऊंचा चाय बागान है। ऊंची चोटी पर बनाए जाने के कारण यह चाय अपने अनूठे सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। वहीं 19वीं सदी पालम में चाय बागान की स्थापना की गई थी। पालमपुर सहकारी चाय कारखाना मेहमानों का स्वागत करने के साथ ही कारखाने में घूमने-फिरने का मौका भी देता है।
चाय का उत्पादक विश्व में सबसे ज्यादा चीन में किया जाता है तथा सबसे ज्यादा निर्यातक देश श्रीलंका है। यहां तक की श्रीलंका की राष्ट्रीय आय भी चाय के निर्यात से चलती है। भारत में चाय का उत्पादन केन्या और श्रीलंका से अधिक होने के बावजूद यहां से चाय का निर्यात इन दोनों देशों से कम होता है। इससे स्पष्ट है कि यहां की घरेलू मांग ज्यादा है या फिर यहां की चाय की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है। चाय के निर्यात में केन्या और श्रीलंका आगे हैं। चाय निर्यात से केन्या 120 करोड़ डॉलर और श्रीलंका 160 करोड़ डॉलर कमाता है, वहीं भारत इसके निर्यात से 80 करोड़ डॉलर रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित ही अर्जित कर पाता है।
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