सरकार ने 2225 की बजाए 3000 रुपए के भाव से खरीदी मक्का, ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन

Share Product प्रकाशित - 29 Oct 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

सरकार ने 2225 की बजाए 3000 रुपए के भाव से खरीदी मक्का, ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन

प्राकृतिक खेती : मक्का किसानों के लिए खुशखबरी, प्रति क्विंटल एमएसपी से 775 रुपए ज्यादा मिलेंगे दाम

सरकार मोटे अनाज की खेती को लगातार बढ़ावा दे रही है। मोटे अनाज में शामिल मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी, और कुट्टू की खेती करने वाले किसानों को कई तरह के लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। अब सरकार ने मक्का किसानों की खुशी को दोगुना करते हुए मक्का की खरीद एमएसपी से 775 रुपए ज्यादा कीमत पर करने का फैसला किया है। सरकार प्राकृतिक तरीके से मक्का की खेती करने वाले किसानों से मक्का की खरीद 3000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कर रही है जबकि मक्का का एमएसपी चालू विपणन सीजन 2024-25 में 2225 रुपए प्रति क्विंटल है। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट से जानें कि किसानों को योजना का लाभ कैसे मिलेगा।

प्राकृतिक तरीके से मक्का उगाने वाले किसानों को मिलेंगे ज्यादा दाम

देश में प्राकृतिक तरीके से उत्पादित खाद्यान्न की डिमांड तो लगातार बढ़ रही है लेकिन किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है। किसानों की इस समस्या को समझते हुए सरकार ने प्राकृतिक तरीके से मक्का की खेती करने वाले किसानों को उनकी फसल की ज्यादा कीमत देने का ऐलान किया है। ऐसे किसानों की मक्का को एमएसपी से ज्यादा कीमत पर खरीदा जाएगा और किसान को प्रति क्विंटल उपज पर 775 रुपए अधिक मिलेंगे। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों से प्राकृतिक खेती के जरिए पैदा की गई मक्का की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है। 

रजिस्ट्रेशन करा चुके किसानों को मिलेगा बंपर एमएसपी का फायदा

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक तरीके से मक्का की खेती करने वाले किसानों को बंपर एमएसपी का फायदा मिल रहा है लेकिन यह फायदा सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराने वालों किसानों को ही मिलेगा। राज्य कृषि विभाग की एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्का की खरीद के लिए 3,000 रुपये प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य घोषित किया है। एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) बिलासपुर के परियोजना निदेशक, तपिंदर गुप्ता के अनुसार जिले में 6,438 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। इनमें से 5,505 किसान 'सितारा' पोर्टल पर पंजीकृत हैं। मक्के की इस बंपर एमएसपी का लाभ केवल पोर्टल पर पंजीकृत किसान ही ले सकेंगे। अब सरकार की नई व्यवस्था के तहत किसान खरीद केंद्रों पर भी अपना पंजीकरण करा सकते हैं।

एक किसान अधिकतम 20 क्विंटल मक्का बेच सकेगा

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्का खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड विभाग के सहयोग से निर्धारित  स्थानों पर खरीद प्रक्रिया जारी है। राज्य सरकार पहले चरण में 508 मीट्रिक टन मक्का की खरीद करेगी। इसके लिए प्राकृतिक खेती करने वाले 3,218 प्रमाणित किसानों का चयन हो चुका है। सरकार प्रत्येक किसान से अधिकतम 20 क्विंटल मक्का की खरीद की जाएगी। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के उपनिदेशक मोहिन्द्र सिंह भवानी ने बताया कि पहले चरण में किसानों से 508 मीट्रिक टन मक्का खरीदा जाएगा।
 
मक्का के बाद गेहूं भी महंगे दामों पर खरीदा जाएगा

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार मक्का के बाद प्राकृतिक तरीके से उगे गेहूं को भी महंगे दामों पर खरीदेगी। इसके लिए सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। राज्य सरकार राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना के पहले चरण में हर पंचायत से 10 किसानों को रसायन मुक्त खेती से जोड़ रही है। सरकार का लक्ष्य 36 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का है। योजना से जुड़ चुके किसानों की प्राकृतिक तरीके से तैयार मक्का को 30 रुपए प्रति किलो के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। अब रबी सीजन में जो किसान  प्राकृतिक तरीके से गेहूं की खेती करेंगे और संबंधित पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराएंगे, उनका गेहूं 40 रुपये प्रति किलो के भाव से खरीदा जाएगा। इस प्रकार हिमाचल प्रदेश के किसानों को गेहूं और मक्का का सबसे ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है। वहीं हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने वाला पहला राज्य बन गया है।

प्राकृतिक मक्के का आटा हिम मक्की के नाम से बिकेगा

हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों से मक्का खरीद कर उसका आटा हिम मक्की के नाम से बेचेगी। यह ब्रांड बाजार में छोटी पैकिंग में उतारा जाएगा। इसे एक व पांच किलो के पैक में बेचा जाएगा। साथ ही इसकी कीमत अन्य मक्की के आटे के बराबर रहेगी। गांव के लोगों के साथ-साथ शहरी लोगों को प्राकृतिक मक्की का आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।

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