Published - 11 Sep 2021
भारत में गाय, भैंस की तरह ही बकरी पालन बहुत पहले से किया जाता रहा है। बकरी पालन की एक सबसे बड़ी बात ये हैं कि जो लोग गरीब हैं और गाय, भैंस नहीं रख सकते हैं उनके लिए बकरी पालन करना सबसे अच्छा रहेगा। बकरी पालन में बहुत कम खर्चा आता है और मुनाफा इससे कई गुना अधिक लिया जा सकता है। बकरी जो कि अपना आहार पेड़-पौधों की पत्तियां आदि खाकर लेती है। जबकि गाय, भैंसों को इससे अधिक आहार की आवश्यकता होती है। इसके लिए पशु आहार आदि बाजार से लाना पड़ता है। इस लिहाज से देखें तो बकरी पालन में बहुत कम खर्च आता है। बकरी पालन बिजनेस के लिए बैंको से लोन मिलता है और इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी प्रदान की जाती है।
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लाइवस्ट्रॉग.कॉम (livestrong.com) की एक रिपोर्ट के मुताबिक बकरी के दूध में छोटे फैट पार्टिकल होते हैं। साथ ही इसमें उपलब्ध प्रोटीन छोटे बच्चों में होने वाली दूध उलटने की समस्या को कम करने में मदद करता है। गाय के दूध के मुकाबले बकरी के दूध में सेलेनियम, नियासिन और विटामिन ए की मात्रा अधिक होती है। अध्ययनों में यह भी पता चला है कि गाय के दूध की अपेक्षा बकरी के दूध में एलर्जी बढ़ाने वाले तत्व नहीं होते हैं। साथ ही इसमें लैक्टोज की मात्रा भी गाय के दूध के मुकाबले काफी कम होती है। अध्ययनों यह भी दावा किया जाता है कि बकरी के दूध में दिमाग की क्षमता बढ़ाने वाले सन्युग्म लिनोलिक ऐसिड भी होता है। बकरी के दूध पर किए गए शोध में बताया गया है कि बकरी का दूध आयरन के बेहतर इस्तेमाल में मदद करता है। इससे आयरन और कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स के साथ परस्पर क्रिया की संभावना कम हो जाती है।
बकरी का दूध ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। इम्यून सिस्टम बढ़ता है। इसके साथ ही बकरी का दूध हमारी हड्डियों को मजबूत बनाता है। एक रिसर्च में पता चला है बकरी का दूध पीने से आंतों की सूजन कम होती है। रोजाना बकरी का एक ग्लास दूध पीना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।
भारत मेंबकरी के दूध के साथ ही बकरे के मांस की बाजार में काफी मांग रहती है। मांस खाने के शौकीन लोगों के लिए बकरे का मांस उनका पसंदीदा मांस में एक है। इसकी मांग देश भर में हमेशा बनी रहती है। बकरी पालन व्यवसाय में आमदनी अच्छी होने से बहुत से किसान इससे जुड़ रहे हैं। इससे किसानों को बहुत फायदा हो रहा है।
अगर कोई व्यवसायिक रूप में बकरी पालन शुरू करना चाहता है तो बरबरी बकरी सबसे अच्छी नस्ल है। जमुनापारी नस्ल 22 से 23 महीने में, सिरोही 18 महीने में गाभिन होती है वहीं बरबरी 11 महीने में बच्चे देने के लिए तैयार हो जाती है। यह साल में दो बार दो से तीन बच्चे दे सकती है।
एक साल में एक बरबरी बकरी तैयार करने में तीन हजार रुपए का खर्चा आता है और बाजार में इसकी कीमत करीब दस हजार रुपए तक है। अब बात करें इस नस्ल की बकरियों से मिलने वाले दूध की तो यह बकरियां प्रतिदिन एक किलो दूध देती हैं और गर्मी, बरसात, सर्दी सभी तरह के वातावरण में आसानी से रह सकती हंै।
यह एक प्रकार का वर्किंग कैपिटल लोन है जिसका उपयोग बकरी पालन व्यवसाय के लिए किया जा सकता है। किसी भी व्यवसाय की तरह बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने के लिए कुछ राशि की आवश्यकता होती है। वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने और कैश फ्लो को बनाए रखने के लिए, ग्राहक विभिन्न निजी और सरकारी बैंकों द्वारा दिए गए बकरी पालन लोन का विकल्प चुन सकते हैं।
बकरी पालन लोन उपयोग भूमि खरीद, शेड निर्माण, बकरियां खरीदने, चारा खरीदने आदि के लिए किया जा सकता है। सरकार ने बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए उद्यमियों के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं और सब्सिडी शुरू की है। बैंकों या लोन संस्थानों की सहायता से शुरू की गई कुछ प्रमुख योजनाओं और सब्सिडी की जानकारी नीचे दी गई है।
नाबार्ड विभिन्न बैंकों या लोन संस्थानों की मदद से बकरी पालन लोन प्रदान करता है। नाबार्ड की योजना के अनुसार, गरीबी रेखा के नीचे, एससी/एसटी श्रेणी में आने वाले लोगों को बकरी पालन पर 33 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। अन्य लोगों के लिए जो ओबीसी और सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, उन्हें 25 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। जो कि अधिकतम 2.5 लाख रुपए होगी।
भारत में बकरी पालन बिजनेस अब तेजी से बढ़ रहा है। इसे प्रगतिशील, युवा शिक्षित किसान अपना रहे हैं। इस व्यवसाय में अच्छी आमदनी किसानों को बकरी पालन के लिए आकर्षिक कर रही है। बकरी पालन के लिए कई बैंक लोन दे रहे हैं कुछ प्रमुख बैंकों की जानकारी इस प्रकार से हैं-
बकरी पालन के लिए लोन राशि व्यवसाय की आवश्यकताओं और आवेदक की प्रोफाइल पर निर्भर करेगी। आवेदक को एक अच्छी तरह से तैयार किया गया बिजनेस प्लान पेश करनी चाहिए जिसमें क्षेत्र, स्थान, बकरी की नस्ल, उपयोग किए गए उपकरण, वर्किंग कैपिटल निवेश, बजट, मार्केटिंग की रणनीति, श्रमिकों का विवरण आदि जैसी सभी आवश्यक व्यवसायिक जानकारी शामिल होनी चाहिए, आवेदक द्वारा योग्यता शर्तों को पूरा करने के बाद एसबीआई आवश्यकता के अनुसार लोन राशि को मंजूरी देगा। एसबीआई भूमि के कागजों को गारंटी के रूप में पेश करने के लिए कह सकता है। ब्याज दर आवेदक की प्रोफाइल के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) का मुख्य फोकस पशुधन खेती के उत्पादन को बढ़ाने के लिए छोटे और मध्यम किसानों की आर्थिक मदद करना है जो अंतत: रोजगार के अवसरों में वृद्धि करेगा। नाबार्ड विभिन्न बैंकों या लोन संस्थानों की मदद से बकरी पालन लोन प्रदान करता है। नाबार्ड की योजना के तहत जो इन बैंको से बकरी पालन के लिए लोन लिया जा सकता है। वे इस प्रकार से हैं-
केनरा बैंक अपने ग्राहकों को आकर्षक ब्याज दरों पर भेड़ और बकरी पालन लोन) प्रदान करता है। पालन के लिए एक विशिष्ट क्षेत्र के अनुकूल बकरियों की खरीद के उद्देश्य से लोन का लाभ उठाया जा सकता है।
आईडीबीआई बैंक अपनी योजना एग्रीकल्चर फाइनेंस शीप एंड गोट रेयरिंग के तहत भेड़ और बकरी पालन के लिए लोन प्रदान करता है। भेड़ और बकरी पालन के लिए आईडीबीआई बैंक द्वारा दी जाने वाली न्यूनतम लोन राशि 50,000 रुपए है और अधिकतम लोन राशि 50 लाख रुपए है। यह लोन राशि व्यक्तियों, समूहों, सीमित कंपनियों, शेपर्ड के सह-ऑप सोसायटी और संस्थाओं द्वारा ली जा सकती है जो इस गतिविधि में लगे हुए हैं।
चूंकी बकरी पालन कृषि क्षेत्र के अंतर्गत आता है, इसलिए पीएमएमवाई के तहत शुरू की गई माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी मुद्रा लोन योजना के तहत बकरी पालन के लिए लोन बैंकों द्वारा प्रदान नहीं किया जाएगा। बैंकों की मदद से मुद्रा गैर-कृषि क्षेत्र में लगे व्यक्तियों और उद्यमों को सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों में आय उत्पन्न करने वाली गतिविधियों के लिए 10 लाख रुपए तक का लोन प्रदान करती है। हालांकि, राज्य और केंद्र सरकार ने बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न लोन योजनाएं और सब्सिडी शुरू की हैं ।
बकरी पालन के लिए बैंक से लोन लेने के लिए आवेदन करते समय आपको कुछ दस्तावेज की आवश्यकता होगी। ये दस्तावेज इस प्रकार से हैं-
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