प्रकाशित - 28 Nov 2023
सर्दियों के दिनों में दुधारू पशुओं जिसमें गाय व भैंस के आहार और उनकी देखभाल का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है, नहीं तो उनके दूध देने की मात्रा में कमी आ जाती है जिससे पशुपालकों को नुकसान होता है। ऐसे में पशुपालकों को चाहिए कि वे अपने दूधारू पशु गाय, भैंस की मौसम अनुरूप देखभाल के साथ ही उन्हें खाने के लिए संतुलित आहार दें। संतुलित आहार में केवल चारा ही नहीं और भी पोष्ट्रिक चीजें देनी चाहिए ताकि बदलते मौसम के साथ पशुओं का स्वास्थ्य सही रहे जिससे उनके दूध देने की क्षमता प्रभावित नहीं हो। अक्सर देखा गया है कि सर्दियों के दिनों में पशु शीतलहर के कारण सर्दी लगने से बीमार पड़ जाते हैं जिससे इसका सीधा असर उनकी दूध देने की क्षमता पर पड़ता है। इसलिए पशुपालकों को विशेष तौर पर सर्दी मौसम में पशुओं की देखभाल में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको सर्दियों में पशुओं के लिए संतुलित आहार व उनकी देखभाल से संबंधित जानकारी दे रहे हैं।
सर्दियों के मौसम में दूधारू पशु जैसे-गाय, भैंस का आहार ऐसा होना चाहिए जिसे पशु आसानी से पचा सके। इसके लिए आपके द्वारा दिए गए आहार की पाचन क्षमता 60 प्रतिशत होनी चाहिए। पशुओं से अच्छा दूध उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्हें उसी अनुपात में आहार देना जरूरी है। चारे के साथ आप उन्हें खनिज मिश्रण, एनर्जी बूस्टर देकर उनके दूध देने की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा उचित देखभाल करने से भी पशुओं के दूध देने की क्षमता 25 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। इस तरह आप पशुओं से हर मौसम में दूध की अधिक मात्रा प्राप्त कर सकते हैं।
सर्दियों में पशुओं को सूखा चारा खिलाना चाहिए। इसकी मात्रा को अन्य मौसम की अपेक्षा अधिक रखनी चाहिए। इसमें ही तुड़ा या पैडी को शामिल करना चाहिए क्योंकि यह ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत होता है। पशुओं को उचित मात्रा में तुड़ा या पैडी खिलाना चाहिए। आप सर्दियों में हरे चारे के रूप में बरसीम जई भी ले सकते हैं। इसे सूखे तुड़े में चौथाई भाग लेकर मिलाकर देना चाहिए। इसके अलावा आप अनाज के तौर पर गेहूं का दलिया, खल, चना, ग्वार बिनोला आदि दे सकते हैं।
यदि आप पशु को बिनौला खिलाना चाहते हैं तो इसे सबसे पहले बिनोले को रात भर पानी में भिगोकर रखें, इसके बाद सुबह इसका पानी फेंक दें। अब बिनौले को ताजा पानी में उबालें और पशु को दिन में दो बार खिलाएं। इससे पशु के दूध देने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी। बता दें कि चना ग्वार और बिनोला पशु के दूध को बढ़ाने के लिए एक अच्छा आहार है। इसी प्रकार दलिया, खल, चना ग्वार आदि को तैयार करें।
पशुओं को आहार की मात्रा का निर्धारण, उनकी नस्ल, उम्र व शारीरिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए। शारीरिक अवस्था से तात्पर्य यहां पशु के गर्भकाल, दुग्धकाल और शुष्ककाल से है। सर्दियों में पशुओं को ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। समान्यत: देशी पशु को प्रतिदिन 8 से 10 किलोग्राम तक आहार की आवश्यकता होती है। वहीं संकर नस्ल की गायों के लिए आहार की मात्रा प्रतिदिन 10 से 12.5 किलोग्राम होती है। ऐसे में दुधारू पशु गाय, भैंस के लिए आवश्यकतानुसार पशु आहार तैयार किया जाना चाहिए। पशुओं के लिए दाना बनाते समय इसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार से है
पशुओं के लिए साइलेज बनाने के लिए ऐसे हरे चारे का उपयोग करें जिसमें शुष्क पदार्थ की मात्रा 25 से 30 प्रतिशत हो। अब इसे कुट्टी बनाकर साइलेज बनाने वाले गड्ढे में अच्छी तरह से दबा दबा कर भर दें। चारे को साइलों की दीवारों से 2-3 फीट ऊंचाई तक भरें, जिससे दबने पर बना हुआ साइलेज जमीन के स्तर से ऊपर रहे और इसमें बरसात का पानी गड्ढे में ना जा पाए। गड्ढे को भरने के बाद इसे पॉलीथीन की चादर से ढक देना चाहिए ताकि यह हवा रहित रहे। गड्ढे के ऊपर गीली मिट्टी या गोबर लेप करके भी इसे हवा रहित किया जा सकता है। 30-35 दिन में साइलेज बनकर तैयार हो जाता है। गड्ढे से साइलेज निकालते समय सबसे पहले मिट्टी को सावधानीपूर्वक हटा लेना चाहिए। इसके बाद पॉलिथीन की चादर को एक किनारे से हटाना चाहिए। साइलेज को जरूरत के मुताबिक निकालकर पशु को खिलाएं ताकि साइलेज की कम से कम मात्रा हवा के संपर्क में आए। हवा की अधिक मात्रा गड्ढे में जाने से साइलेज के खराब होने की संभावना रहती है।
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