सागौन की खेती से किसान होंगे मालामाल, जानें सागौन की नर्सरी की पूरी जानकारी.

Share Product Published - 11 Jun 2020 by Tractor Junction

सागौन की खेती से किसान होंगे मालामाल, जानें सागौन की नर्सरी की पूरी जानकारी.

सागौन की खेती से किसान कैसे होंगे मालामाल, जानें सागौन की नर्सरी कैसे तैयार करें ?

सरकार देगी टिशूकल्चर पद्वति से तैयार किए गए पौधे

किसान भाइयों का ट्रैक्टर जंक्शन में स्वागत है। आज हम चर्चा करेंगे सागौन की खेती के बारे में कि यह किस तरह किसानों  के लिए अतिरिक्त कमाई का जरिया बन सकती है। किसानों को इस वर्ष पहले कोरोना वायरस (कोविड-19)के कारण जारी लॉकडाउन से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। उसके बाद टिड्डी दल का हमला जिसने किसान की फसल को बर्बाद कर दिया। इस तरह किसान को इस वर्ष फसल अच्छी होने के बाद भी नुकसान हुआ है।

हालात यह है कि किसान को बाजार में फसल के उचित दाम तक नहीं मिल पा रहे हैं जिससे उन्हे आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके चलते आखिरकार किसान को सरकारी समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचकर ही संतुष्टि करनी पड़ रही है। बागवानी फसल का उत्पादन करने वाले किसान को तो और भी अधिक नुकसान झेलना पड़ा है। जिन्होंने अपने खेत में टमाटर की खेती हुई थी उनको खरीददार नहीं मिल रहे और उन्हें अपनी टमाटर की फसल को मजबूरी के कारण औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ रही है।

 

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यही नहीं कई किसान तो अपने टमाटर खराब होने या फिर वापसी में लगने वाले किराये को देखते हुए मंडी में यूं ही छोड़ कर आ गए। इस तरह से किसान को किसी न किसी कारण से हर साल नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब प्रश्न उठाता है कि किसान की इस हानि की भरपाई कैसे हो। हालांकि सरकार किसानों के लिए आए दिन नई घोषणाएं कर रही है ताकि किसानों को आर्थिक मदद मिल सके। लेकिन सरकार द्वारा किए गए प्रयास भी किसान के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं। ऐसे में किसान को स्वयं ही इसका रास्ता खोजना होगा। इसके लिए उसे अन्य फसलों की खेती के साथ ही लंबे समय तक लाभ देने वाली फसल का चयन करना होगा ताकि उसे आगामी वर्षों तक उसका अच्छा लाभ मिल सके। इसमें सागौन की खेती एक ऐसा एक ऐसा विकल्प है जो किसान को लंबे समय तक आमदनी दे सकता है।

इसे किसान अपने खेत की मेड पर इसे लगा सकता है। और अन्य फसलें भी इसके साथ उगाई जा सकती है वो अलग। इससे सागौन की खेती किसान के लिए लंबे समय तक एक अतिरिक्त कमाई का जरिया बन सकता है। यदि किसान इसकी आधुनिक तरीके से खेती करे तो इससे अच्छा मुनाफा कमा सकता है। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार किसानों को टिशू कल्चर पद्वति से तैयार सागौन के पौधे भी वितरित करेगी। इसके लिए इंदौर की टिश्यू कल्चर लैब में इसके पौधे तैयार किए जा रहे हैं। हम आपको सागौन की खेती करने से संबंधित इसके हर पहलू से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं ताकि आपको इसकी खेती करने में आसानी हो। साथ ही इसकी बाजार मांग का भी पता रहे जिससे आप इसकी खेती करके भरपूर लाभ प्राप्त कर सके । तो आइए जानते हैं सागौन की खेती के बारे में.

 

 

क्या है सागौन (सागवान)

वर्बीनैसी (Verbenaceae) कुल का यह वृहत्त, पर्णपाती वृक्ष है। यह शाखा और शिखर पर ताज ऐसा चारों तरफ फैला हुआ होता है। भारत, बरमा और थाइलैंड का यह देशज है, पर फिलिपाइन द्वीप, जावा और मलाया प्रायद्वीप में भी पाया जाता है। भारत में अरावली पहाड़ में पश्चिम में पूर्वी देशांतर अर्थात झांसी तक में पाया जाता है। असम और पंजाब में यह सफलता से उगाया गया है। साल में 50 इंच से अधिक वर्षा वाले और 25 डिग्री से 27 डिग्री सेंटीग्रेट ताप वाले स्थानों में यह अच्छा उपजता है।

इसके लिए 3000 फुट की ऊंचाई के जंगल अधिक उपयुक्त हैं। सब प्रकार की मिट्टी में यह उपज सकता है पर पानी का निकास रहना अथवा अधोभूमि का सूखा रहना आवश्यक है। गरमी में इसकी पत्तियां झड़ जाती हैं। गरम स्थानों में जनवरी में ही पत्तियाँ गिरने लगती हैं पर अधिकांश स्थानों में मार्च तक पत्तियाँ हरी रहती हैं। पत्तियां एक से दो फुट लंबी और 6 से 12 इंच चौड़ी होती है। इसका लच्छेदार फूल सफेद या कुछ नीलापन लिए सफेद होता है। बीज गोलाकार होते हैं और पक जाने पर गिर पड़ते हैं। बीज में तेल रहता है। बीज बहुत धीरे-धीरे अंकुरते हैं। पेड़ साधारणतया 100 से 150 फुट ऊंचे और धड़ 3 से 8 फुट व्यास के होते हैं। सागौन की लकड़ी बहुत अल्प सिकुड़ती और बहुत मजबूत होती है। कई वर्षों के बाद भी सागौन की लकड़ी अच्छी अवस्था में पाई गई है। सागौन की लकड़ी की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें दीमक नहीं लगती है। 

 

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सागौन की लकड़ी की बाजार में मांग

सागौन की लकड़ी बड़ी उपयोगी और महंगी होती है। इसकी लकड़ी की खासियत यह है कि ये बड़ी मजबूत होने के साथ ही इसमें कई सालों तक दीमक नहीं लगती है। इसको देखते हुए बाजार में इससे बने फर्नीचर की मांग सदैव रहती है। सागौन से बनाए गए सामान अच्छी क्वालिटी के होते है और ज्यादा दिनों तक टिकते हैं। इसलिए सागौन की लकड़ी से बने फर्नीचर की घर और आफिस दोनों जगहों पर भारी मांग हमेशा रहती है। इसके अलावा सागौन की लकड़ी का उपयोग जहाजों, नावों, बोंगियों आदि के अलावा भवनों की खिड़कियों और चौखटों, रेल के डिब्बों के निर्माण में किया जाता है। वर्तमान में बाजार में सागौन की लकड़ी का मूल्य 50 से 60 हजार रुपए प्रति घनमीटर है। बाजार में इसकी मांग को देखते हुए इसके दाम भी अच्छे मिलते है। 

 

सागौन की नर्सरी की खास बातें

नर्सरी में सागौन का पौधरोपण करने के लिए कुछ बेसिक बाते होती हैं। इनकी जानकारी यहां दी जा रही है। सागौन की नर्सरी के लिए हल्की ढालयुवक अच्छी तरह से सूखी भूमि बलुई मिट्टी वाला क्षेत्र जरूरी होता है। नर्सरी में पौधरोपण के क्यारी 1.2 मीटर की बनाई जाती है। इसमें 0.3 मीटर से 0.6 मीटर की जगह छोड़ी जाती है। क्यारियों की लाइन के लिए 0.6 से 1.6 मीटर की जगह छोड़ी जाती है। आपको बता दें कि एक क्यारी में 400 से 800 के बीच पौधे पैदा होते हैं।

क्यारी की खुदाई : सागौन की नर्सरी में पौधरोपण के लिए क्यारी को 0.3 मीटर तक खोदा जाता है और मिट्टी से अनावश्यक पदार्थों को निकाल दिया जाता है। इस मिट्टी को एक माह के लिए खुला छोड़ दिया जाता है। इसके बाद उसे क्यारी में बालू और ऑर्गेनिक खाद के साथ भर दिया जाता है। यहां यह ध्यान रखने वाली बात यह है कि नमी वाले क्षेत्र में जल जमाव को रोकने के लिए जमीन के स्तर को क्यारी को 30 सेमी तक ऊंचा उठाया जाता है। वहीं सूखे इलाके में क्यारी को जमीन के स्तर पर ही रखा जाता है।

सागौन के बीज की रोपाई : सौगान की नर्सरी में एक मानक क्यारी की लंबाई 12 मीटर की होती है। उसमें करीब 3 से 12 किलो बीज का इस्तेमाल किया जा सकता है। सौगान की रोपाई फैलाकर, छितराकर, क्रमिक और डिबलिंग तरीके से 5 से 10 फीसदी अलग रखकर की जाती है। क्रमिक या डिबलिंग तरीके से बुआई से ज्यादा फायदा होता है। सामान्यत: क्यारियों को ऊपरी शेड की आवश्यकता नहीं होती है। सागौन का रोपन 2मी X 2मी, 2.5मी X 2.5मी या 3मी X 3मी के बीच होना चाहिये। इसे दूसरी फसलों के साथ भी लगाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए 4मी X 4मी या 5मी X 1मी का गैप या अंतराल रखना जरूरी है।

 

कितनी हो सकती है कमाई

मान लें कि आपने 8 एकड़ खेत में मेड बनाकर सागौन के 500 पौधे रोपे और इन्हें 6 साल तक सींचा तो 9 साल बाद आपको एक पेड़ के 40 हजार रुपए की कमाई हो सकती है। इस तरह आप 15 साल में वह 2 करोड़ रुपए कमा सकेंगे। इतनी ही अवधि के बाद फिर आप इसी पेड़ से दो करोड़ रुपए और कमा सकते है। ये मात्र गणितीय गणना नहीं है ऐसा करके दिखाया है खडवा जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर गांव बडग़ांव गुजर के किसान धनाजी रामचंद्र जाधव (50) ने जिन्होंने अपने खेत में छह मेड बनाकर इस पर पांच-पांच सेमी. पर सागौन के 500 पौधे लगाकर इतनी आमदनी प्राप्त की है।  

 

यहां तैयार किए जा रहे है टिश्यू कल्चर पद्वति से पौधे, जल्द ही किसानों को बांटे जाएंगे / PLANT TISSUE CULTURE LAB

मध्य प्रदेश के इंदौर वन वृत्त की टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में सागौन के धन पेड़ों से उच्च गुणवत्ता के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। ये पौधे अपने पैरेन्ट वृक्ष के समान ही सर्वोत्कृष्ट प्रमाणित गुणवत्ता वाले होंगे। इससे किसानों को हर साल सर्वोत्कृष्ट प्रमाणित गुणवत्ता वाले एक लाख पौधे मिल सकेंगे। पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद मध्यप्रदेश सरकार इन पौधों का वितरण किसानों को करेगी। 

 

क्या है टिश्यू कल्चर पद्धति / Tissue Culture Process

टिश्यू कल्चर पद्धति में विभिन्न चरणों में सागौन पौधा तैयार होता है। चयनित धन वृक्षों कि शाखाएं लेकर उपचार के बाद पालिटनल में रखकर अंकुरित की जाती हैं। अंकुरण के बाद तीन-चार सेंटिमीटर कि शूट होने पर उसको एक्सप्लांट के लिए अलग कर लेते हैं। इसके बाद एक्सप्लांट कि सतह को एथनाल आदि से अच्छी तरह साफ कर इसे कीटाणु रहित किया जाता है। इसके बाद स्तरलाइज्म एक्सप्लांट को सावधानीपूर्वक टेस्ट ट्यूब में ट्रांसफर किया जाता है।

टेस्ट ट्यूब में पौधा 25 डिग्री सेल्सियस + 2 डिग्री सेल्सियस पर 16 से 18 घंटे की लाइट पर 45 दिनों तक रखा जाता है। लगातार दो हफ्ते कि निगरानी ओर तकनीकी रखरखाव के बाद एक्सप्लांट से नई एपिक्ल शूट उभर आती है। अब इनकी 6 से 8 बार सब क्लचरिंग कि जाती है 7 लगभग 30 से 40 दिनों के बाद 4 से 5 नोड वाली शूट्स प्राप्त होती है। जिन्हें फिर से काटकर नये शूटिंग मिडिया में इनोक्यूलेट किया जाता है। इसके बाद शूट को डबल शेड के नीचे पालीप्रोपागेटर में 30 से 35 डिग्री तापमान ओर 100 प्रतिशत आद्रता पर लगाया जाता है। लैब में तैयार पौधे वर्तमान में 15 से.मी. ऊंचे हो चुके है। 

 

अधिक तापमान वाले इलाकों में भी उगाया जा सकता है इसे

सागौन का पौधा ज्यादा तापमान पर भी उगाया जा सकता है। इसलिए इसकी खेती उन स्थानों पर भी की जा सकती है जहां अधिक गर्मी पड़ती है और तापमान अधिक रहता है। इसका पौधा अधिक तापमान को भी बर्दाश्त कर लेता है। प्राय: सागौन की खेती के लिए उपयुक्त मौसम सागौन के लिए नमी और उष्णकटिबंधीय वातावरण जरूरी होता है। लेकिन सागौन की बेहतर विकास के लिए उच्चतम 39 से 44 डिग्री सेंटीग्रेट और निम्नतम 13 से 17 डिग्री सेंटीग्रेड उपयुक्त है। 1200 से 2500 मिलीमीटर बारिश वाले इलाके में इसकी अच्छी पैदावार होती है। इसकी खेती के लिए बारिश, नमी, मिट्टी के साथ-साथ रोशनी और तापमान भी बहुत आवश्यक है।

सागौन खेती में मिट्टी की भूमिका सागौन की सबसे अच्छी पैदावार जलोढ़ मिट्टी में होती है जिसमें चूना-पत्थर, शीष्ट, शैल, भूसी और कुछ ज्वालामुखीय चट्टानें जैसे कि बैसाल्ट मिली हो। वहीं, इसके विपरीत सूखी बलुवाई, छिछली, अम्लीय (6.0पीएच) और दलदलीय मिट्टी में पैदावार बुरी तरह प्रभावित होती है। सॉयल पीएच यानी मिट्टी में अम्लता की मात्रा ही खेती के क्षेत्र और विकास को निर्धारित करती है। सागौन के वन में सॉयल पीएच का रेंज व्यापक है, जो 5.0-8.0 के 6.5-7.5 बीच होता है। सागौन खेती के लिए कैल्सियम, फोस्फोरस, पोटैशियम, नाइट्रोजन और ऑर्गेनिक तत्वों से भरपूर मिट्टी बेहद जरूरी है। 

 

सागौन की रोपाई में रखने वाली कुछ सावधानियां

सागौन अथवा सागवान की खेती करते समय इसकी रोपाई के समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे किसान को अधिक उत्पादन का लाभ मिल सके।  

 

सागौन रोपन के लिए कुछ जरूरी बातें

  •  पूर्व अंकुरित खूंटी या पॉली पॉट का इस्तेमाल करें 45  सेमी x 45 सेमी x 45 सेमी की नाप के गड्ढे की खुदाई करें। मिट्टी में मसाला, कृषि क्षेत्र की खाद और कीटनाशक को दोबारा डालें। साथ ही बजरी वाले इलाके के खोदे गए गड्ढे में ऑर्गेनिक खाद युक्त अच्छी मिट्टी डालें। 
  • पौधारोपण के दौरान गड्ढे में 100 ग्राम खाद मिलाएं और उसके बाद मिट्टी की ऊर्वरता को देखते हुए अलग-अलग मात्रा में खाद मिलाते रहें सागौन की खेती के लिए सबसे अच्छा मौसम मानसून का होता है, खासकर पहली बारिश का समय पौधे की अच्छी बढ़त के लिए बीच-बीच में मिट्टी की निराई-गुड़ाई का भी काम करते रहना चाहिए, पहले साल में एक बार, दूसरे साल में दो बार और तीसरे साल में एक बार पर्याप्त है। 
  • पौधारोपन के बाद मिट्टी की तैयारी को अंतिम रुप दें और जहां जरूरी है वहां सिंचाई की व्यवस्था करें। शुरुआती साल में खर-पतवार को हटाने का काम करना सागौन की अच्छी बढ़त दिलाता है।

 

 

सिंचाई में समय ध्यान रखने योज्य बातें

  • शुरुआती दिनों में पौधे की वृद्धि के लिए सिंचाई बेहद अहम है। खर-पतवार नियंत्रण के साथ-साथ सिंचाई भी चलती रहनी चाहिए जिसका अनुपात 3,2,1 है।  2. अगस्त और सितंबर महीने में दो बार खाद डालना चाहिए। लगातार तीन साल तक प्रत्येक पौधे में 50 ग्राम एनपीके (15:15:15) डाला जाना चाहिए। इसके अलावा मिट्टी चलता रहना चाहिए।
  •  नियमित तौर पर सिंचाई और पौधे की छंटाई से तने की चौड़ाई बढ़ जाती है। ये सब कुछ पौधे के शीर्ष भाग के विकास पर निर्भर करता है। सिंचाई सुविधायुक्त सागौन के पेड़ तेजी से बढ़ते हैं इसलिए इनकी नियमित सिंचाई करनी चाहिए। 
  • यदि किसान इस पौधे को अपनी खेत की मेड पर लगाता है उसे कम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि खेत में पहले से उगाई गई फसलों को पानी देने के साथ ही इसको भी पानी पहुंच जाएगा बेशर्त है किसान इसकी व्यवस्था ऐसी करें कि खेत का पानी मेड पर लगे सागौन के पौधे अथवा पेड़ तक पहुंच जाए। सागौन के पौधे को नियमित पानी मिलना जरूरी है। 

 

यहां से प्राप्त कर सकते हैं सागौन के पौधे

वैसे तो किसान अपने राज्य या शहर की नर्सरी से ये पौधे खरीद सकते हैं। वहीं मध्यप्रदेश के इंदौर वन वृत्त की टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला से भी इसे प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा हाइब्रिड यूकेलिप्टस पौधे जो लुधियाना की नर्सरी में तैयार किए जाते हैं। इन्हें वहां से भी लिया जा सकता है। 


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