वर्तमान समय में महंगाई के दौर को देखते हुए आज हर कोई पैसा कमाने के दूसरे जरिए भी ढूंढ रहा है, चाहे वो आम आदमी हो या किसान, क्योंकि सिर्फ एक आमदनी के जरिए आज के समय में गुजारा करना असंभव हैं। यही वजह है कि आज के इस महंगाई के दौर बहुत से पढ़े लिखे लोग नौकरी के साथ साथ खेती की ओर अपना रूख कर रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर पढ़े लिखे लोग खेती से अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं। अगर आप भी बेहद कम समय में पैसा कमाने के लिए खेती करने के बारे में सोचते हैं पर आपको यह समझ नहीं आ रहा है कि कौनसी फसल की खेती करें। जिससे अच्छा खासा मुनाफा कमा सकें। तो आज हम आपको एक ऐसी फसल की खेती का आइडिया दे रहे हैं, जो सिर्फ 5 साल के अन्दर ही आपको मालामाल कर देगा। आप मालाबार नीम की खेती का विकल्प चुन सकते हैं। आप इसकी खेती में कई अन्य फसलों की बुवाई भी करके अतिरिक्त लाभ भी कमा सकते हैं। आप इसकी खेती के साथ हल्दी, अदरक, काली मिर्च, अरबी, मिर्च और खरबूजे की खेती भी सफलतापूर्वक कर सकते हैं। मालाबार नीम की खेती एक ऐसे खेती है जो बेहद कम समय में आपको करोड़पति बना सकती हैं। अगर आप भी अब मालाबार नीम के पेड़ से होने वाली कमाई के बारे में जानकर इसकी खेती करने का मन बना रहे है और आपके पास इसकी खेती के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है, तो ऐसे में आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में मालाबार नीम के बारे में पर्याप्त जानकारी देने जा रहे हैं। जिससे आप अपनी फसल के साथ इसकी खेती कर कम समय में ही करोड़ों की कमाई कर सकते हैं।
मालाबार नीम या मेलिया डबिया इस पेड़ को कई अन्य नाम से जाना जाता हैं। मेलियासी वनस्पति परिवार से उत्पन्न, मालाबार नीम का पेड़ तेजी से बढ़ने वाला एक नगदी पौधा हैं। इसकी खेती सबसे ज्यादा ऑस्ट्रेलिया में होती हैं तथा भारत में सबसे ज्यादा तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल राज्य के किसान मालाबार नीम के पेड़ों की खेती करते हैं। फिलहाल, धीरे-धीरे अन्य राज्यों के किसानों ने भी इसकी खेती की तरफ अपना रुख किया है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अन्य पेड़ों के मुकाबले मालाबार नीम का पौधा बेहद तेजी से विकास करता है और ज्यादा मुनाफा देता है। सिंचाई के अच्छे साधन मौजूद होने पर ये पेड़ महज 5 सालों में ही कटाई लायक तैयार हो जाता है। इसके अलावा कम सिंचिंत क्षेत्र में भी इस पेड़ को नुकसान नहीं है। इसे किसी भी तरह की मिट्टी में उगवाया जा सकता है। गहरी उपजाऊ रेतीली दोमट मिट्टी व उथली बजरी मिट्टी में ये पेड़ ठीक से विकास करता है।
मालाबार नीम के पेड़ों का उपयोग अनेक प्रकार की चीजों को बनाने के लिए करते हैं, इसकी लकड़ी का इस्तेमाल अनेक प्रकार के फर्नीचर, पैकिंग बॉक्स और क्रिकेट स्टीक को बनाने में करते हैं। इसके अलावा कृषि संबंधित उपकरण, तिल्लियों, छत के तख्तों, भवन के उद्देश्यों, स्प्लिंट्स, कट्टामारम और पेन्सिल को बनाने के लिए इसकी लकडि़यां उपयोग में ली जाती हैं। सीलोन में, यह नावों के आउटरिगर के लिए काम आता है। यह संगीत वाद्ययंत्र, चाय के बक्से और प्लाईबोर्ड के लिए उपयुक्त है। औषधीय गुण होने की वजह से इसके पौधे में दीमक नहीं लगता है, जिसके कारण सालों-साल इसकी लकडि़यां सुरक्षित रहती हैं।
मालाबार नीम के पेड़ 5 से 6 साल में कटाई लायक तैयार हो जाते हैं। इसका पौधा एक साल में करीब 08 फीट की ऊंचाई तक बढ़ता है। इसके पौधों में दीमक नहीं लगने की वजह से इसकी मांग ज्यादा है। इसकी लकड़ी का उपयोग प्लाईवुड उद्योग में सबसे ज्यादा किया जाता हैं। जिससे आप कुछ सालो में ही लाखों की कमाई कर सकते हैं। इसके पेड़ की पूर्णतयः तैयार लकड़ी को 8 साल के बाद बेच सकते हैं। आप इसकी खेती में चार एकड़ के खेत में तकरीबन 5 हजार पेड़ो को लगा सकते हैं। इसके अलावा बाहरी किनारों पर भी 2 हजार पेड़ तक लगाए जा सकते हैं। आप इसके 4 एकड़ के खेत से आसानी से 8 वर्ष में 50 लाख तक की कमाई कर सकते हैं। इसकी लड़की का मार्केट भाव कम से कम 500 रूपये क्विंटल होता हैं। ऐसे में अगर 6000 से 7000 रूपये में भी एक पौधा बिकेगा तो आराम से आप लाखों रूपये कमा सकते हैं।
भारत के दक्षिण पूर्वी एशिया में भी इसे उगाया जाता है। यह एक एग्रोफोरेस्ट्री प्रजाति का पौधा है, जिसकी खेती में कई अन्य फसलों की बुवाई भी की जा सकती हैं। यह तेजी से विकास करने वाला पेड़ हैं। यह साधारण नीम से थोड़ा अलग होता है। इसकी खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। इसकी खेती के लिए भूमि का पी.एच मान भी सामान्य होना चाहिए। इसकी खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। इसके पौधों को सामान्य सिंचाई से भी विकसित किया जा सकता है। इसके पौधों की सिंचाई 10 से 15 दिन के अंतराल में एक बार जरूर करें। बारिश का मौसम है, तो जरूरत पड़ने पर ही पौधों को पानी दे। इसकी बुवाई के लिए मार्च और अप्रैल का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। नर्सरी में भी इसके पौधे तैयार कर इसकी खेती की जा सकती हैं। चार एकड़ के क्षेत्र में 5 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। जिसमें 2 हजार पेड़ खेत के बाहर वाली मेड़ पर और 3 हजार पेड़ खेत की अंदर मेड़ पर लगाए जा सकते हैं। एक मालाबार नीम का पौधा पांच साल बाद 2 से 4 हजार रुपये की आय किसान को दे सकता है। मालाबार नीम का पेड़ तीन साल बाद कागज और माचिस की तिलियां बनाने में उपयोग योग्य हो जाता है। पांच साल बाद प्लाइवुड और आठ साल बाद फर्नीचर उद्योग में इस्तेमाल करने योग्य हो जाता है।
मालाबार नीम के बीजों को नर्सरी बेड के ऊपर बो दिया जाता है। जिसके बाद उन्हें अंकुरित होने में 2 से 3 महीने का समय लग जाता है तथा अंकुरण अवस्था को पूरा करने के लिए 6 महीने लग जाते हैं। इस दौरान बोए गए बीजों को नियमित रूप से, दिन में दो बार पानी दिया जाना चाहिए। उन स्थानों पर जहां दिन का तापमान बहुत अधिक नहीं है, या जहां नर्सरी बेड छाया में हैं, नर्सरी बेड को मध्यम तापमान में बनाए रखने के लिए तिरपाल शीट से ढंकना चाहिए।
मालाबार नीम की बुवाई के लिए मार्च और अप्रैल का महीना सबसे उपयुक्त माना गया है। नर्सरी में भी इसके पौधे तैयार कर इसकी खेती की जा सकती है। मालाबार का बीज नर्सरी में मार्च और अप्रैल के दौरान बोना सबसे अच्छा है। साफ और सूखे बीजों को खुली नर्सरी बेड में 5 सेंटीमीटर की दुरी पर ड्रिल की गई लाइनों में बोना चाहिए। रेत में बीज अंकुरित नहीं होते हैं इसलिए उन्हें मिट्टी और थ्ल्ड खाद के 2: 1 के अनुपात में या फिर 1: 1 अनुपात में मिलाकर लगाया जा सकता है।
मालाबार नीम के पौधे तैयार करने के लिए देहरादून व उत्तर प्रदेश से इसके बीज मंगाए गए हैं। इनके बीज महंगे होते हैं। वन विभाग ने अपने खर्चे से बीज उपलब्ध कराए हैं। उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय के डॉ. दुष्यंत शर्मा ने मालाबार नीम के पौधों की 10 प्रजातियां शरद, वर्षा, ऋतु, मीगा, शशि, कार्तिक, देव, बहुमुखी, क्षितिज और अमर ट्रायल के लिए रोपी थीं। किसानों को यह पौधा 30 से 40 रुपये में उपलब्ध करवाया जा रहा है। किसान भाई मालबार नीम के तैयार पौधे 30 से 40 रूपये अपने जिले के वन विभाग से प्राप्त कर सकते हैं।
मालाबार नीम के पौधों रोपाई के लिए खेत में 8 बाई 8 मीटर की दूरी रखते हुए लगभग दो फिट चौड़ाई और डेढ़ फिट गहराई के गड्ढों पंक्तियों में तैयार करें। उसके बाद इन गड्ढों में उचित मात्रा में जैविक और रासायनिक उर्वरकों को मिट्टी में मिलाकर गड्ढों में भर दें। इन गड्ढों को पौध रोपाई के एक महीने पहले तैयार कर लें। इसके अलावा इन्हे 5 बाई 5 मीटर की दूरी पर भी लगा सकते है। पौधों का विकास तेजी से हो सके इसके लिए पानी की पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए। आरम्भ में मालाबार नीम के खेत में नमी बनाये रखने के लिए पानी देते रहना होता है, तथा तीन महीने में एक बार खेत में उवर्रक जरूर दें।
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